Book Title: Sudansana Chariyam
Author(s): Umangvijay Gani
Publisher: Pushpchandra Kshemchandra Shah
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॥८९३॥ मुच्चंतछगणमुत्तं विलिहंतभुवं च चऊहि चरणेहिं । भट्ठच्छायमतुच्छुच्छलंतउस्सासदुप्पिच्छं ॥८९४॥ कंपंतसयलगत्तं पणदृदंतं चलंत उदउई । दट्टण जिण्णवसहं संवेगगओ स चिंतेइ ॥८९५॥ कत्थ गयं तं जुद्धं इमस्स? तं कत्थ रूवलायणं ? । कत्थ य तं 'ढिक्किययं खणभंगुरयं अहह !! सर्व ॥८९६॥ तमिमस्स मरंतस्स उ करेमि किंचिवि परत्तपरिताणं । इय | चिंतिय सो चउरो तुरियं तुरयाउ उत्तरिओ ॥८९७॥ ठाऊण कण्णमूले कंठाऽऽगयजीवियस्स वसहस्स। वियरइ विसुद्धवणं|
महुमहुरगिराइ नवकारं ॥८९८॥ सो वि हु अवगयतत्तो निभंतो असुहझाणपरिचत्तो। कपणंजलीहि धुंटइ अमयं व तयं 2वसहवसहो ॥८९९॥ सुयनाणस्स समग्गस्स सारमझ व दैहिविरोलस्स । नवकारं सुमरंतो सो गोणो मरणमणुपत्तो|
॥९००॥ तत्थेव य सत्तच्छयरण्णो भुवणस्सिरीइ देवीए । कुञ्छिसि स गोणजिओ पुत्तत्ताए समुप्पण्णो ॥९०११॥ वरव| सहसुमिणसुपसत्थदोहलुप्पत्तिसूइयगुणोहो । पडिपुण्णदिणेहि इमो जाओ जणजणियगुरुहरिसो ॥९०२॥ तो गरुयविभूईए वद्धावणयं निवेण काऊणं । सुमिणाणुसारओ से नाम वसह उ त्ति कयं ॥९०३॥ लालिजंतो य इमो नवनवलायण्ण-18 ख्वकंतीहिं । वडइ अणुक्कमेणं सियपक्खसारयससिब ॥९०४॥ जाओ य अट्ठवरिसो दबविछड्डेण छत्तसालाए । सत्तच्छएण रण्णा छत्ताऽऽयरियस्स उवणीओ ॥९०५॥ अकिलेसेण वि तेणं पुबब्भत्थेण नाणजोगेण । अप्पेण वि कालेणं सयलाउ कलाउ गहिआओ ॥९०६॥ संपत्तो तारुण्णं कुमरो लायण्णलच्छिपरिपुण्णं । जं तरुणीलोयणछप्पयाण पंकेरुहवणं व ॥९०७॥ अह अण्णया कुमारो कयसिंगारो पभूयपरिवारो। तुरयारूढो पत्तो पुवुत्ते नंदनवणम्मि ॥९०८॥ तत्थ य
गर्जनम्। २ दधिविलोटनस्य । ३ द्रव्यत्यागेन ।
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