Book Title: Sudansana Chariyam
Author(s): Umangvijay Gani
Publisher: Pushpchandra Kshemchandra Shah

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Page 256
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra सुदंसणाचरियम्मि ॥ ११८ ॥ www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अह चउदसमुद्देसो । अह भणइ चंडवेगो मुणी ठिओ तत्थ बिमलसेले सो। चंपगलयाइ पुरओ रुक्खंतरियस्स तह रण्णो ॥ १ ॥ एवं चरियं तइया वित्तं मुणिसुषयस्स तित्थम्मि । इत्थाऽऽगमणं संपइ तुम्हाणऽम्हाण साहेमि ॥२॥ सिरिभयच्छे जइया वट्टंते सुवयस्स तित्थम्मि । सुष्वयजिणस्स भवणं कारवियं रायधूयाए ॥ ३ ॥ एयं पि इत्थ तइया विजयकुमारस्स साहुभत्तीए । | देवीसुदरिसणाए करावियं जिणहरं तीए ॥४॥ गणहरमुणीहि पच्छा पयडिज्जते जिनिंदधम्मम्मि । तित्थस्स वासलक्खा वोलीणा अंतरे छच्च ॥५॥ [ ६००००० ] इत्थंतरम्मि भद्दे ! णमितित्थयरो इह समुप्पण्णो । दसवाससहस्से पर्याडऊण धम्मं गओ मुक्खं ॥ ६॥ [ १०००० ] तित्थं च तस्स पंचहि वासलक्खेहिं वोलियं जाव । [ ५००००० ] ता सिरिणेमिजिनिंदो भारहम्मि इह समुप्पण्णो ||७|| वरिससहस्सं इक्कं धम्मं साहेवि भवसत्ताणं । [ १००० ] संपत्तो निधाणं निरुवमसुक्खं निराबाहं ॥८॥ अट्टमसयहियवरिससहसतेयासिया अइकंता । [ ८३७५० ] तो इत्थ भरहखित्ते पासजिनिंदो समुप्पण्णो ॥ ९ ॥ वरिससयं पासजिणो धम्मं साहेवि सिवपयं पत्तो । [ १०० ] दोसयपंचासहिया पवत्तियं पास जिणतित्थं ॥१०॥ [२५० ] भयवं वीरजिनिंदो उप्पण्णो इत्थ भरहखित्तम्मि । बाहत्तरिवरिसाई कहेवि धम्मं सिवं पत्तो ॥ ११॥ [ ७२ ] किंचूणाबारसवरिसलक्खसिरिसवलियाविहारस्स । भरुयच्छे तीइ करावियस्स कालप्पमाण| मिणं ॥१२॥ [ ११९५१७२ ] ऊणाधिकाउद्देसेण - जत्थऽज्जवि सुपवित्ते तित्थे साहंति मुणिवरा मुक्खं । अवसप्पिणीइ १ उत्पन्नम् । For Private and Personal Use Only सुदरिसणाए सहोयरचंडवेगविबोह णणाम च उदसमो उद्देसो । ॥ ११८ ॥

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