Book Title: Sudansana Chariyam
Author(s): Umangvijay Gani
Publisher: Pushpchandra Kshemchandra Shah

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Page 224
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सुदंसणाचरियम्मि ॥१०२॥ AURANGARASRANASICASHLEG मए परिण्णायं । देवाण दरिसणाओ संपइ तह धम्मसवणाओ ॥७५२॥ मज्झ पिया पुण मरिउं तारिससीलो कहिं गओ रयणत्तयभयवं! । पसिऊण साहसु तहा नाहियवायस्स पडिवायं ॥७५३॥ भणइ गुरू तुज्झ पिया कंदतो किण्हलेसपरिणामो। स्सरुवप्परुद्दज्झाणोवगओ सत्तमनरए गओ मरिउं ॥७५४॥ निसुणसु पुणो इयाणिं नाहियवायस्स जुत्तिवियलस्स । मिच्छत्तमूल-16 रूवग नाम कंदस्स उत्तरं जुत्तिसंजुत्तं ॥७५५॥ जीवो अत्थि अवस्सं नियलक्खणवंतसेसभावव । चेयणलक्खणवंतो पच्चक्खो नाणदि- दसमुद्देसो। हीणं ॥७५६॥ दंसणणाणसरूवो सेसाण पुणो अमुत्तिमंतो वि । साणुभवपमिइगम्मो अणुमाणपमाणगम्मो य ।।७५७॥ अह-18 मिइ पच्चयगम्मो सुही दुही एवमाइभावेहिं । साणुभववेइएहिं पञ्चक्खो सघजीवाणं ॥७५८॥ निसुयं दिटुं घायं भुत्तं पुढे |च सुमरियं च मए । एवं विहभावेसु विणाया दिट्ठो जिओ चेव ॥७५९॥ न य इत्थ जाणगाई सवणाईणि न ताई जाणंति। |संताणि वि जियविगमे जीवाणुवओगकाले य ॥७६०॥ न य धम्मो भूयाणं चेयणं किंतु जीवधम्मो तं । जमचेयणाणि ताई तस्समुदाए वितं न जओ ॥७६१॥ जं सबहा न वीसुं न होइ तं समुदए विजं तिल्लं । वीसुमसंतं सिकयाकणेसु तस्समुदए विन तं ॥७६२॥ एवं अणुभवसिद्धो जीवो जाणिजए सए देहे । परदेहे विष्णुमिजइ समसुहदुक्खाइनाणाओ ॥७६३॥ किंच इमं वइचित्तं जयस्स जह के वि सुत्थिया इहयं । सुकुलीणा रायाणो महत्तमा सिट्ठिसत्थाहा ॥७६४॥ सेणावइणो पहुणो सुविणीया ईसरा सुरूवा य । सुहगा धीरा सुसरा वियक्खणा तह सुहायारा ॥७६५॥ अण्णे उण विव-1 ॥१०२॥ रीया दीसंति जिया सुदुक्खसंतत्ता । काणा अंधा बहिरा मूया पंगू कुरूवा य॥७६६॥ दासा पेसा दमगा दरिदिणो दुब्भगा १ बंत वान्त । २ पृथक् । OSAAMISTARSKE*SAS For Private and Personal Use Only

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