Book Title: Sudansana Chariyam
Author(s): Umangvijay Gani
Publisher: Pushpchandra Kshemchandra Shah

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Page 221
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तं दहुं ओसरिया अम्हे वेगेण भयभीया ॥ ७०४ || सो देवो ताव लहुं दिवाइ गईइ सोममुत्तीए । ठाऊण अम्ह पुरओ एवं सो पभणिउं वयणं ॥ ७०५ ॥ वच्छ ! महाबल तुज्झ पियामहो सयबलु त्ति नामाऽहं । अणुचिण्णचारुचरणो लंतयकप्पाहिवो जाओ ॥७०६ ॥ तं तुभे विहु पुत्ता ! संजमनियमुज्जमं करिज्जासु । जिणवयणेणऽप्पाणं भाविजह अमयभूएण ॥७०७ ॥ सद्धावंधुरहियया पईसमयवमाणपरिणामा । मुत्तुं संसारसुहं सुगई तुब्भे वि जं लहह ||७०८ | इय वुत्तुं उप्पइडं तमालदलसामलम्मि गयणयले | दसदिसिउज्जयंतो पत्तो तियसो सठाणम्मि || ७०९ ॥ दिहं सुयमणुभूयं ता जइ सुमरेह सामि ! तं तुब्भे । ता परलोगो अत्थि त्ति निच्छयं किं न सद्दहह ? ॥७१० ॥ रण्णा भणियं एयं भद्द ! सयंबुद्धमंति ! सुमरामि । पर लोगो अत्थि धुवं ति संपयं सद्दहामि तहा ॥ ७११॥ तो परितुट्ठमणेणं पुणरवि सयंबुद्धमंतिणा एवं । पत्थावजाणएणं भणियं लद्धावकासेणं ॥ ७१२ ॥ सामि ! निसुणेसु सम्मं नियपुबय संगयं विवेयकरं । निसुर्य परंपरेणं धम्माऽधम्मफलं पयडं ॥ ७१३ ॥ तथाहि — कुरुचंदो नाम निवो इह नयरे तुम्ह पुजो आसि । पबलप्पयावकलिओ पिया य से कुरुमई देवी ॥ ७१४ ॥ अम्मापिऊण भत्तो हरिचंदो नाम ताण वरपुत्तो । सो राया नाहियवायसमयसारे अहिगयट्ठो || ७१५ ॥ भणइ य न अत्थि जीवो पुण्णं पावं च तह य परलोगो । पञ्च्चक्खअविसयत्ता सबस्स वि खरविसाणं व ॥७१६॥ जं चत्थि तं पञ्चक्खगोयराईयमिह जहा लोए । भूयचउक्कं बहुलोयसम्मयं इंदियगिजं ॥ ७१७ ॥ चेयण्णमिणं जं तं न जीवधम्मो ति तं तु भूयाणं । समुदायसंभवं चिय मज्जंगाणं व मयसत्ती ॥ ७१८॥ ता पञ्चक्खअविसया जीवो इच्चाइ नत्थि इह णूणं । पञ्चक्खपुचगस्स उ अणुमाणस्स वि अविसयत्ता ॥७१९ ॥ For Private and Personal Use Only

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