Book Title: Sramana 2010 07
Author(s): Ashok Kumar Singh, Shreeprakash Pandey
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 40
________________ पश्चिम भारत के जैनाचार्यों का साहित्यिक अवदान : ३९ २२. वही, पृ० १८५ २३. सुवर्ण भूमि में कालकाचार्य, पृ० २२ २४. प्राकृत प्रापर नेम्स, भाग-प्रथम, पृ० १७० २५. वही, पृ० ४११ २६. जैन धर्म के प्रभावक आचार्य, पृ० १३० २७. कल्पसूत्र, २०५ २८. जैन धर्म के प्रभावक आचार्य, पृ० १७८ २९. वही, पृ० २५६ ३०. वही, पृ० २५८ ३१. प्रभावक चरित, पृ० २८ ३२. जैन धर्म के प्रभावक आचार्य, पृ० २१५ ३३. वही, पृ. २४१ ३४. वही, पृ०, ३६९ ३५. प्राकृत प्रापर नेम्स, भाग प्रथम, पृ० ४१२ ३६. भारतीय संस्कृति में जैन धर्म का योगदान, पृ० ७२ ३७. तीर्थंकर महावीर और उनकी आचार्य परम्परा, भाग-२, पृ० २८ ३८. जैन धर्म की ऐतिहासिक रूपरेखा, पृ० ६२-६३ ३९. जैन धर्म के प्रभावक आचार्य, तृतीय सं., पृ. २६६ ४०. वही, पृ० ३०-३१ ४१. जैन परम्परा और श्रमण संस्कृति, पृ० १९१; षट्खण्डागम, भाग-१, पृ० ९६ ४२. जैन धर्म के प्रभावक आचार्य, तृ.सं, पृ० २९४ ४३. वही, पृ० २७० ४४. तीर्थंकर महावीर और उनकी आचार्य परम्परा, पृ० ४६ ४५. एपिग्राफिया इण्डिका, भाग-१६, पृ० २३९-२४१; जैन रिलीजन एण्ड रॉयल डॉयनेस्टिज ऑफ नार्थ इण्डिया, भाग-१, पृष्ठ ७८ ४६. एपिग्राफिया इण्डिका, भाग-१६, पृ० २४० ४७. षट्खण्डागम धवलाटीका, भाग-१, पृष्ठ ७१ ४८. तीर्थंकर महावीर और उनकी आचार्य परम्परा, पृ० ५१ श्रुतावतार, पद्म १३२ १३३ ४९. द जैन सोर्सेज ऑफ द हिस्ट्री ऑफ इण्डिया, पेज-१४४, षट्खण्डागम धवलाटीका, प्रथम पुस्तक, प्रस्तावना, पृ० २२-३१

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