________________
जिज्ञासा और समाधान : ११५
है। मुक्तावस्था में कोई कर्मादि-निमित्त नहीं रहते जिससे वह स्वाभाविक रूप में ही रहती है। (विशेष के लिए देखें पञ्चाध्यायी (राजमल्लकृत २.६१ से ९३ तथा जैनेन्द्र सिद्धान्तकोष, भाग ३, पृष्ठ ५५७-५५९)
(२) जिज्ञासा- 'पर्दूषण' और 'संवत्सरी' के क्या अर्थ हैं? इन्हें क्यों और कैसे मनाया जाता है। श्वेताम्बर और दिगम्बर परम्परा में क्या अन्तर है?
-डॉ. शारदा सिंह समाधान- 'पर्दूषण' इस संस्कृत शब्द का अर्थ है- जिसमें सब ओर से पापकर्मों को जलाया जाए (परितः समन्तात् उष्यन्ते दह्यन्ते कर्माणि यस्मिन् तत् पर्वृषण)। प्राकृत में इसे 'पेज्जूषण' कहा जाता है—पेज्ज' अर्थात् रागद्वेष और 'ऊषण' अर्थात जलाना। इस तरह ‘पयूषण' का अर्थ हुआ “रागद्वेष या संसार-परिभ्रमण के कारणभूत कार्यबन्ध की निर्जरा (नष्ट) करना।"
जैसे क्रिश्चियन में क्रिसमस का, मुसलमानों में रमजान का और हिन्दुओं में नवरात्र-दशहरा का महत्त्व है वैसे ही जैनों में पर्युषण का महत्त्व है। यह एक आध्यात्मिक साधना तथा आत्मावलोकन का महापर्व है। इसे मिनी (छोटा) चातुर्मास भी कहते हैं। साधु तो महाव्रती होते हैं अत: वे पूर्ण रूप से धर्मनिष्ठ हैं परन्तु गृहस्थ कई कार्यों में व्यस्त रहता है। अत: उन्हें विशेष रूप से यह पर्व समाचरणीय है। इसमें गृहस्थ (श्रावक) अहिंसक आचरण का अभ्यास करते हैं, तन-मन को मांजकर उन्हें निर्मल करते हैं, क्षमा-अहिंसा को रोमरोम में बसाते हैं, आत्मा को सम्यक्त्व के रस में डुबोते हैं, अप्रमत्त होकर सर्व-परिग्रह से मुक्ति की कामना करते हैं, आत्मनिर्भर होकर आकांक्षाओं को सीमित करते हैं, क्रोध, ईर्ष्या आदि जो आत्मा के विभाव-भाव हैं उन्हें हटाकर सम्यक्त्व, क्षमा आदि स्वभाव-भाव की ओर अग्रसर होते हैं। इन दिनों में बच्चा-बच्चा एकासना या उपवास करने की इच्छा करता है। स्थानाङ्गसूत्र में धर्म के चार मार्ग बतलाए हैं जो चारों कषायों के अभाव रूप हैं- क्षमा, मार्दव, आर्जव और निर्लोभता।
श्वेताम्बर परम्परा में यह पर्व आठ दिनों का होता है जिसे वे दिगम्बरों से पहले भाद्रपद कृष्णा बारस से भाद्रपद शुक्ला चतुर्थी तक मनाते हैं तथा पञ्चमी को अथवा चतुर्थी को 'संवत्सरी' (क्षमा पर्व) का आयोजन करते हैं। संवत्सरी (संवत् अर्थात् वर्ष) का अर्थ है 'वार्षिक-प्रतिक्रमण' (दोषों का परिमार्जन, आभ्यन्तर कचड़ा हटाना एवं क्षमाभाव)। संवत्सरी को पज्जोसवणा या वर्षधर पर्व भी कहा जाताहै। 'क्षमा' एक 'कल्पवृक्ष' है जो स्वस्थ निर्मल