________________
विद्यापीठ के प्रांगण में वनस्पति विज्ञान और जैन धर्म में पर्यावरण संरक्षण
लाला हरजसराय जैन स्मृति मासिक व्याख्यान माला के अन्तर्गत पार्श्वनाथ विद्यापीठ में शनिवार दिनाङ्क १५.८.२०१० को सेवा निवृत्त प्रोफेसर (डॉ.) डी. एन. तिवारी (पूर्व विभागाध्यक्ष वनस्पति विज्ञान विभाग, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी) ने अपने व्याख्यान में बतलाया कि जैन धर्म के जो आचार सम्बन्धी नियम, उपनियम हैं वे वनस्पति विज्ञान की कसौटी पर खरे उतरते हैं। अहिंसा, पर्यावरण, स्वास्थ्य आदि दृष्टियों से उनका बड़ा महत्त्व है। उन्होंने यह भी बतलाया कि कोई वस्तु सर्वथा नष्ट नहीं होती है बल्कि उसकी पर्याय बदलती है। पेड़-पौधे किस तरह पनपते हैं और कैसे मानव जाति के लिए उपकारी हैं? इसका विवेचन किया। ‘काई' जैसी तुच्छ वस्तु भी हमारे लिये उपयोगी है। अत: सबका संरक्षण अति आवश्यक है अन्यथा प्रकृति का असंतुलन हमारे लिए तथा समस्त जीव जगत् के लिए घातक सिद्ध होगा। अत: पर्यावरण संरक्षण के लिए जैन धर्म को पालन करना नितान्त आवश्यक है।
प्रो. त्रिपाठी ने सभा में उपस्थित सभी के प्रश्नों का समुचित उत्तर दिया। अध्यक्षता प्रो.(डॉ.) सुदर्शनलाल जैन ने की तथा डॉ. एस.पी. पाण्डेय ने संचालन किया। इस अवसर पर विभिन्न विद्वान् प्रो. कमलेश जैन, डॉ. मनोरमा जैन, ओम प्रकाश सिंह, डॉ. शारदा सिंह, दीपिका जैन, मलय झा, राघवेन्द्र पाण्डेय, श्वेता सिंह आदि उपस्थित थे। पार्श्वनाथ विद्यापीठ के पुस्तकालयाध्यक्ष शोध-हेतु पंजीकृत
पार्श्वनाथ विद्यापीठ के शतावधानी रतनचन्द्र जैन पुस्तकालय के पुस्तकालयाध्यक्ष श्री ओम प्रकाश सिंह का शोध हेतु पंजीयन काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, कला संकाय में संस्कृत विभाग के प्रोफेसर श्री यू.पी. सिंह के निर्देशन में हुआ है। श्री सिंह का शोध-विषय “जैनकोश ग्रन्थों का समीक्षात्मक अध्ययन" है।