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६२ : श्रमण, वर्ष ६१, अंक ३ / जुलाई-सितम्बर-१० में भी कई आसनों का उल्लेख है जैसे- आसंदक, भद्रपीठ, डिप्फर, फलकी, बृसी, काष्ठमय पीढ़ा, तृणपीढ़ा, मिट्टी का पीढ़ा, छगणपीढग। अपाश्रयों (आधार स्वरूप वस्तुएँ) में शयन, आसन, पल्लंक, मंच, मासालक, मंचिका, खट्वा और सेज-शयन-सम्बन्धी अपाश्रय हैं। यान सम्बन्धी अपाश्रयों में सीया, आसंदणा, जाणक, घोलि, गल्लिका, सग्गड़, सगड़ी हैं। किडिका, दारुकपाट या दरवाजा, ह्रस्वाकरण आदि भीत सम्बन्धी अपाश्रय हैं। मणि, मुक्ता, हिरण्य मंजूषा, वस्त्र मंजूषा, दधि, दुग्ध, गुड़-लवण आदि रखने के अनेक पात्रों को भी अपाश्रयों के अन्तर्गत रखा गया है।
इस ग्रन्थ में आभूषणों की भी विस्तृत सूची दी गयी है। इनमें सिंहभंडक सबसे सुन्दर आभूषण है जो सिंह के मुख जैसा होता था तथा जिनमें से मोतियों के झुग्गे लटकते रहते थे। दो मकरमुखों की आकृतियों को मिलाकर बनाया जानेवाला आभूषण सामंत मकरिका, वृषभक, हत्थिक, चक्रवाक, चक्रकमिथुनक, हाथ के कड़े और पैरों के खड़वे, णिडालमासक, तिलक, मुहफलक, विशेषक, कुण्डल, तालपत्र, कर्णपीड, कर्णफूल आदि ऐसे आभूषण हैं जिनका कुषाण काल में उपयोग भी होता था। केयूर, तलब, आमेढक, पारिहार्य, वलय, हस्तकलापक, कंकण ये हाथ के आभूषण हैं। गले के आभूषणों में हार, अर्धहार, फलहार, वैकक्षक, अवेयक सूत्रक, स्वर्णसूत्र, स्वस्तिक और श्रीवत्स मुख्य हैं। स्पष्टतः स्वस्तिक और श्रीवत्स हार श्रृंगार के साथ ही मंगल सूचक भी थे। गंडूपक, पाएढक, पादकलापक, पादमासक, पादजाल और खत्तियक पैरों के गहने हैं। श्रोणिसूत्र व रत्नकलापक कटिभाग के गहने कहे गये हैं। मोतियों के जाले आभूषणों के साथ मिलाकर पहने जाते थे। जिनमें बाहुजालक, उरुजालक और सरजालक का प्रमुखता से उल्लेख किया गया है। स्त्रियों के गहनों में शिरीषमालिका, लनीयमालिका, ओरणी, पुष्फितिका, कमण्णी, वालिका, लकड़, कर्णिका, कुण्डमालिका, सिद्धार्थिका, मुद्रिका, अक्षमालिका, पयुका, णितरिंगी, घनपिच्छलिका, विकालिका, एकावलिका, पिप्पलमालिका, हारावली, मुक्तावली के अलावा कमर के लिए काँची, रशना, मेखला, जंबूका, कंटिका, संपडिका, पैरों के लिए पादमुद्रिका, पादसूचिका, पादघट्टिका, किंकिणिका और वर्मिका आदि आते हैं। तीसवें अध्याय में पुनः आभूषणों के नाम दिये हैं। इसमें आभूषणों के तीन प्रकार बताए गये हैंप्राणियों के हड्डियों एवं दाँतों से बने, काष्ठ, फूल, फल, पत्र आदि से बने और धातुओं से बने। श्वेत आभूषणों में चाँदी, शंख, मुक्ता, स्फटिक, विमलक,