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२४ : श्रमण, वर्ष ५४, अंक १-३/जनवरी-मार्च २००३
मल के विनष्ट होने से अन्तरात्मा की शुद्धि को ही सिद्धि अथवा मोक्ष कहते हैं। यह सिद्धि आत्मतत्त्व की प्राप्ति रूप है, अभाव नहीं।१३१
अन्त्येष्टि संस्कार- आदिपुराण में दो प्रकार की मृत्यु का उल्लेख हैशरीर-मरण अर्थात् आयु के अन्त में शरीर का त्याग और संस्कार-मरण अर्थात् व्रती पुरुषों द्वारा पापों का परित्याग। १३२ शरीर-मरण में ही अन्त्येष्टि संस्कार की व्यवस्था दी गयी है। १३३ अग्निदाह,१३४ शव के गाड़ने, जल में प्रवाह और पशु-पक्षियों को खाने के लिए खुले स्थान में छोड़ने की परम्परा भी थी। शव पर आत्मीय जनों द्वारा कपूर, अगरु, चन्दन आदि का उबटन लगा कर स्नान कराने का उल्लेख भी मिलता है।१३५ लोकाचार के अनुसार आत्मा की शान्ति के लिए जलाञ्जलि देने का भी विधान वर्णित है।१३६ अन्त्येष्टि संस्कार में नीहरण, व्यन्तराधिष्ठित, परिष्ठापन, ब्राह्मणभोजन आदि का उल्लेख भी है।१३७
___ गर्भान्वय, दीक्षान्वय तथा क्रियान्वय संस्कार क्रमश: योग, ज्ञान और कर्म के तीन साधन रूप प्रतीत होते हैं, जो क्रमशः एक के सम्पन्न करने के बाद दूसरे के योग्य बनता जाता है। सम्भवत: गर्भान्वय संस्कार सामान्य श्रावकों के लिए है जिसे अधिक संस्कारों द्वारा समर्थ बनाया जाता है। दीक्षान्वय संस्कार सदाचारी ज्ञानमार्गी व्यक्तियों के लिए विहित है जो अपेक्षाकृत कम संस्कारों द्वारा समर्थ हो जाता है। क्रियान्वय संस्कार मुनियों के लिए है जो अल्प समय में ही सांसारिकता से मुक्त होकर ज्ञान प्राप्त कर लेते हैं। इनके लिए अल्प संस्कारों की ही आवश्यकता होती है। ये तीनों संस्कार लम्बे, मध्यम और छोटे रास्ते हैं, जिनका अन्तिम लक्ष्य है मुक्ति प्राप्त करना।
___ जैन पुराणों में वर्णित संस्कारों का समाज से अधिक धर्म से सम्बन्ध है, लेकिन अन्तिम लक्ष्य तक पहुँचा देने के कारण व्यक्ति के व्यक्तित्व का व्यापक ध्यान रखा गया है और सामाजिक अधिकार तथा कर्तव्यों की विवेचना की गयी है। ये संस्कार मानव जीवन के परिष्कार और शुद्धि में सहायक, व्यक्तित्व के विकास को सहज, मानव शरीर को पवित्र तथा भौतिक, धार्मिक एवं आध्यात्मिक महत्वाकांक्षाओं को गति तथा अन्त में उसे जटिलताओं और समस्याओं के संसार से सरल, सम्यक् मुक्ति अर्थात् परिनिर्वाण के लिए प्रस्तुत करते हैं। ये संस्कार अनेक समस्याओं के समाधान में सहायक थे। उदाहरणार्थ आधान तथा जन्म संस्कार यौन शिक्षा तथा प्रजनन से सम्बद्ध थे, जब स्वास्थ्य विज्ञान तथा प्रजननशास्त्र का विज्ञान की स्वतन्त्र शाखा के रूप में विकास नहीं हुआ था उस समय संस्कार द्वारा ही इन शिक्षाओं को प्रदान किया जाता था। अनेक संस्कार ज्ञान तथा बौद्धिक विकास के प्रति प्रेरित करते हैं। विवाह संस्कार अनेक यौन तथा सामाजिक समस्याओं का नियमन करता है। पुरुषों के लिए सभी संस्कार विहित थे परन्तु स्त्रियाँ कुछ विशेष संस्कार ही सम्पन्न करती थीं। नवीन
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