Book Title: Sramana 2003 01
Author(s): Shivprasad
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 52
________________ ४८ : श्रमण, वर्ष ५४, अंक १-३/जनवरी-मार्च २००३ खिलौनों के बाजार में देखा जाता है कि दुकानों पर तरह-तरह के खिलौने सजाएँ हुए रहते हैं- उछलने वाला बन्दर, गाने वाली चिड़ियाँ, दहाड़ने वाला सिंह, छुक-छुक चलने वाली रेलगाड़ी, सू सू करके उड़ान भरने वाला जहाज आदि। बच्चे उन्हें देखते हैं और जिसे जो खिलौना पसन्द आता है वह उसे खरीद लेता है। ठीक उसी तरह दुनिया के बाजार में कई तरह के आकर्षक खिलौने देखे जाते हैं, जैसे- मानव धर्म, मानव मिलाप, मानव एकता, विश्वधर्म, विश्वबन्धुत्व, विश्वशान्ति यज्ञ, सर्वधर्मसमभाव, सर्वधर्मसमन्वय इत्यादि। इन खिलौनों से राजनेता, धर्मनेता, समाजनेता खेलते हैं और सामान्य जनता इन लोगों के पीछे-पीछे हाथ उठाए हुए जय-जयकार करती है। इन खिलौनों से खेल दिखाकर कुछ लोग धन, कुछ लोग यश तथा कुछ अन्य लोग मत अर्जित करते हैं। धर्मान्धता के कारण साधु जहाँ से प्रस्थान करता है वहीं पर लौट कर आ जाता है। इस सम्बन्ध में एक कहानी प्रचलित है। एक व्यक्ति अपनी पारिवारिक कठिनाइयों से तंग आकर अपना घर-बार छोड़ दिया और एक सम्प्रदाय में दीक्षित हो गया। उसने साधु के वस्त्र धारण कर लिए और भिक्षाटन करने लगा और भिक्षावृत्ति से ही अपना जीवनयापन करने लगा। इस तरह आठ-दस वर्ष बीत गये, लोग उसे धीरे-धीरे भूल गये; किन्तु संयोगवश वह यहाँ-वहाँ भ्रमण करता हुआ अपने ही गांव में आ गया तथा गांव से बाहर एक वटवृक्ष के नीचे अपना आसन जमाया। बच्चों ने देखा और गांव में यह बात सूचित हो गयी कि एक संन्यासी आया है जिसकी जटाएं इस प्रकार हैं और दाढ़ी ऐसी है आदि-आदि। लोग साधु को देखने के लिए एकत्रित हो गये। दस वर्ष से कम आयु वाले बच्चे तो उसे नहीं पहचान सके लेकिन सयाने और बूढ़े लोगों ने उसे पहचान लिया और उसने भी सबको पहचाना। यह बात साधु के परिवार तक पहुँच गयी कि अमुक व्यक्ति जो घर छोड़कर चला गया था वही साधु के रूप में आया हुआ है। उसकी पत्नी के मन में बड़ी उत्सुकता हुई कि वह अपने खोए हुए पति को देखे, परन्तु जहाँ पूरा गाँव एकत्रित था वहाँ वह किस प्रकार पति से मिलने की धृष्टता करती। अत: रात में जब प्रायः सभी लोग सो गये वह चुपके से उस वटवृक्ष के नीचे पहुँच गयी जहाँ उसका साधु पति सोया था। जब वह पहुँची, किसी के आने की आहट पाकर साधु जग गया और उठकर बैठ गया। दोनों ने एक दूसरे को देखा और देर तक देखते रहे, फिर वार्ता शुरु हुई, हाल-चाल की जानकारी हुई, पत्नी को उत्सुकता हुई कि वह अपने पति की सामग्रियों को देखे कि साधु जीवन में किन-किन चीजों की जरूरत होती है? उसने अपने पति से आज्ञा ली और उसके झोले के सामानों को एक-एक करके देखा। साधु के झोले में एक छोटा चूल्हा, छोटा चौका-बेलना, छोटा भगौना, छोटा चिमटा, एक दीपक, कुछ अन्न, कुछ वस्त्र आदि वे सभी चीजें थीं जो कुछ बड़े पैमाने पर एक परिवार में होती हैं। पत्नी सामानों को देखती रही Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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