Book Title: Sramana 2003 01
Author(s): Shivprasad
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 130
________________ साहित्य सत्कार : १२६ जगत् में धर्म सर्वोपरि है (महापुरुषों की वाणी), संकलन- केवल चन्द जैन, प्रकाशक- संघवी लालचन्द जीवराज एण्ड कं०, डी०एल०लेन, चिंकपेट, बैंगलोर-५३, प्राप्ति स्थान- शा० लालचन्द मदनराज एण्ड कं०, ७/२८ एम०पी०लेन, चिकपेट, बैंगलोर-५३, आकार-- डिमाई, पृ० २०८, मूल्यसदुपयोग। केवल चन्द जैन संकलित जगत में धर्म सर्वोपरि है (महापुरुषों की वाणी) गद्य एवं पद्य का अनुठा संग्रह है। सभी कहानियाँ शिक्षाप्रद हैं। पुस्तक किसी एक सम्प्रदाय विशेष का प्रतिनिधित्व न करते हुए सबके लिए उपयोगी है। दृष्टान्तों के माध्यम से कहानियाँ अत्यन्त ही रोचक प्रतीत होती हैं। इसमें कुल १३७ कहानियाँ हैं जो अपने आपमें अनूठी एवं मनन योग्य है। आशा है पाठकगण इसे पढ़कर लाभ उठावेंगे। लखनऊ जैन संग्रहालय की जैन प्रतिमाएँ, लेखक- डॉ० शैलेन्द्र कुमार रस्तोगी, प्रकाशक-श्री भारतवर्षीय दिगम्बर जैन (तीर्थ संरक्षिणी) महासभा केन्द्रीय कार्यालय- श्री नन्दीश्वर फ्लोर मिल्स कम्पाउण्ड, मिल रोड, ऐशबाग, लखनऊ, संस्करण प्रथम २००२, आकार रायल, पेज ११६+६४, मूल्य १००/ 'लखनऊ जैन संग्रहालय की जैन प्रतिमाएँ' कला-इतिहास की एक उत्कृष्ट रचना है। इस पुस्तक में लेखक ने जैन धर्म की मूर्तियों का उद्भव और विकास, श्वेताम्बर दिगम्बर सम्प्रदायों की मूर्तियों में भेद के साथ-साथ जिन मूर्तियों पर एक विहंगम दृष्टि से प्रकाश डाला है। इसमें सभी तीर्थंकरों का ऐतिहासिक विवेचन एवं उनके प्रतिमाशास्त्रीय लक्षणों का सम्यक वर्णन है। कुल ११ अध्यायों के माध्यम से जैन प्रतिमाओं के प्रत्येक पक्ष को दर्शाने का यह सफल प्रयास है। अन्त में ६४ पृष्ठों का श्वेत श्याम चित्र इस ग्रन्थ को पूर्णता प्रदान करता है। इसे पढ़कर सामान्य सुधीजन के साथ-साथ शोधार्थी भी अवश्य ही लाभान्वित होंगे। शोधार्थियों के लिए यह पुस्तक निःसन्देह अत्यन्त उपयोगी सिद्ध होगी। अनुसंधान २०, सम्पादक- विजयशीलचन्द्रसूरि, प्रकाशक- कलिकाल सर्वज्ञ श्री हेमचन्द्राचार्य नवम जन्म शताब्दी स्मृति संस्कार शिक्षण निधि, अहमदाबाद, प्राप्ति स्थान- आ० विजयनेमिसूरि जैन स्वाध्याय मन्दिर १२, भगतबाग, जैन नगर नयाशारदा मन्दिर रोड, अहमदाबाद ३८०००७, आकार डिमाई, पृष्ठ ११५, मूल्य ५०/ ___'अनुसन्धान' प्राकृत भाषा की एक उत्कृष्ट पत्रिका है जिसमें समय-समय पर श्रमण परम्परा से सम्बन्धित उत्कृष्ट लेख प्रकाशित होते है। उपरोक्त संस्करण में श्री Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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