Book Title: Sramana 2003 01
Author(s): Shivprasad
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 124
________________ जैन जगत : १२० शाजापुर में योग एवं ध्यान शिविर सम्पन्न शाजापुर १९ मार्च; होली पर्व के पावन प्रसंग पर म०प्र० राज्य के मालवांचल में स्थित शाजापुर नगर में सुरम्य प्राकृतिक वातावरण से परिपूर्ण दुपाडा रोड पर स्थित प्राच्य विद्यापीठ के सुन्दर एवं विशाल भवन में परम श्रद्धेय संत श्री भानु विजयजी महाराज (पाटण-गुजरात), जैन धर्म-दर्शन के अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त विद्वान् श्रद्धेय डॉ० सागरमलजी जैन सा०, शाजापुर तथा राष्ट्रीय स्तर पर ख्यातिप्राप्त योग एवं प्राणायाम विशेषज्ञ श्री चन्द्रशेखरजी आजाद सा०, इन्दौर के सानिध्य में सर्वमंगल परिवार म०प्र० के सौजन्य से दिनांक १५-१६-१७-१८ मार्च को चार दिवसीय मौन-योग-ज्ञान-ध्यान शिविर सम्पन्न हुआ। इसमें गुजरात के विभिन्न नगरों तथा म०प्र० के इन्दौर, उज्जैन और भोपाल से पधारे शिविरार्थियों और स्थानीय लोगों ने भाग लिया जिनकी संख्या लगभग २०० रही। इस चार दिवसीय शिविर में 'काया की निरोगिता से लेकर माया के बीच रहते हुए कैसे व्यक्ति आनन्दित रहे' इसका प्रशिक्षण शिविर के विभिन्न सत्रों में शिविरार्थियों को दिया गया। शिविर के प्रवचन सत्रों में अपनी अमृतवाणी की वर्षा करते हुए श्रद्धेय संत श्री भानु विजयजी महाराज एवं श्रद्धेय सागरमलजी सा० ने प्रतिपादित किया कि ज्ञान के बिना ध्यान एक कर्मकाण्ड होकर रह जाता है जो परिणाममूलक नहीं हो सकता। साथ ही यह भी कहा कि आनन्द की उपलब्धि के लिये ध्यान श्रेष्ठतम उपाय है। यदि सम्यक् ज्ञान और सम्यक् ध्यान दोनों साथ-साथ चले तो परिणाम निश्चित है। गत वर्ष भी होली पर्व के पावन अवसर पर सर्वमंगल परिवार ने प्राच्य विद्यापीठ में ज्ञान-ध्यान शिविर का आयोजन किया था। तभी से प्राच्य विद्यापीठ में प्रतिदिन प्रात: ६ से ७ बजे तक तथा रात्रि को ८ से ९ बजे तक नियमित रूप से डॉ० सागरमलजी जैन के मार्गदर्शन में ध्यान-साधना हो रही है जिसमें १५ से २५ सदस्यों की उपस्थिति प्रतिदिन बनी रहती है। सर्वमंगल परिवार की ओर से आदरणीय शांतिलालजी सा० भोपाल, श्री सुरेश भाई- इन्दौर ने एक चर्चा में बताया कि जैन मनीषी डॉ० सागरमलजी जैन के सानिध्य में प्राच्य विद्यापीठ में नियमित रूप से जारी ध्यान-साधना से प्रेरित होकर ही हमने शाजापुर नगर में पुन: ध्यान साधना शिविर का आयोजन किया है। शिविर का कुशल संचालन डॉ० एस०टी० कोटक (डीसा-गुजरात) ने किया। आपने विभिन्न ध्यान सत्रों में ध्यान-साधना भी सम्पन्न करवाई। भोपाल से पधारी ओशो की शिष्या माँ पूर्णिमा ने भी ध्यान साधना ओशो विधि से करवाई। भाई विमल भण्डारी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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