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खरतरगच्छ-जिनभद्रसूरिशाखा का इतिहास : ६५
तालिका-२
जिनभद्रसूरि
वाचनाचार्य समयध्वज
वाचक ज्ञानमंदिर
वाचक गुणशेखर
वाचक नयरंग (वि०सं०१६२५ में
विविधकन्दलीटीका के कर्ता; विभिन्न कृतियों के रचनाकार)
वाचक विनयविमल ( वि०सं० १६४७ में
अनामीसाधुसंधि के रचनाकार; विभिन्न रचनायें उपलब्ध)
वाचक धर्ममंदिर गणि
राजसिंह (वि०सं० १६७६ में विद्याविलासरास के रचनाकार; अन्य कई रचनायें उपलब्ध,
वाचक धर्ममंदिर गणि
उपा.पुण्यकलश
उपा.जयरंगजी
वाचक तिलकचन्द
पंडित मानसिंह (वि०सं०१७५४/ई०स०१६६८ में अमरसेनवयरसेनचतुष्पदी के
प्रतिलिपिकार) वि०सं० १६६६ में लिखी गयी प्रश्नव्याकरणसूत्रवृत्ति की प्रशस्ति" से ज्ञात होता है कि इसके प्रतिलिपिकार चारित्रकीर्ति और सुखकीर्ति भी ।
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