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श्रमण, वर्ष ५४, अंक १-३/जनवरी-मार्च २००३
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धूलिया से प्राप्त शीतलनाथ की श्याम पाषाण से निर्मित प्रतिमा
प्रतिमा - जैसा कि चित्र से स्पष्ट है प्रस्तुत प्रतिमा अत्यन्त सुडौल और सुन्दर है। यह ‘समचतुस्र संस्थान' में निर्मित है। प्रतिमा के कन्धे और कोहनी का मोड़ लगभग समकोण है। प्रतिमा पर श्रीवत्स का अंकन होने से यह शीतलनाथ की प्रतिमा के रूप में जानी जा सकती है।
प्रतिमा की दूसरी विशेषता यह है कि दूर से देखने पर ऐसा प्रतीत होता है कि प्रतिमा की गोद में शिवलिंग है। ज्ञातव्य है कि मध्य काल में दक्षिण भारत में शैवों ने यह अनिवार्य कर दिया था कि जो शिवलिंग धारण करेगा, वही सुरक्षित रहेगा। इस कारण जिनप्रतिमाओं की आकृति इस प्रकार से बनायी जाने लगी कि उनकी गोद में शिवलिंग प्रतीत हो। इस प्रकार की प्रतिमायें प्राय: दक्षिण भारत में ही पायी जाती हैं।
'कन्धारान्वय' का उल्लेख करने वाली यही एकमात्र ज्ञात प्रतिमा है साथ ही प्रतिमा की गोद में शिवलिंग का आभास देने वाली विरल प्रतिमाओं में से एक है। इन दोनों विशेषताओं के कारण हम इसे एक विशिष्ट प्रतिमा कह सकते हैं।
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