Book Title: Sramana 2003 01
Author(s): Shivprasad
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 31
________________ जैन पुराणों में वर्णित जैन संस्कारों का जैनेतर संस्कारों से तुलनात्मक अध्ययन : २७ ३८. आ० पु०; ३८/८०-८१, ४०/९७-१००. ३९. आ० पु०; ३८/८२, तुलनीय ऋग्वेद; १०/९/१-३, तैत्तिरीय संहिता; ४/१/५/११. ४०. आ० पु०; ३७/८३-८४, ४०/१०२-१०७. ४१. आ० पु०, ३८/८५, ४०/१०८-१३१, हरिवंशपुराण; पुन्नाटसंघीय आचार्य जिनसेन, सम्पा० अनु०- पन्नालाल जैन, भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशन, काशी, ८/१०५. ४२. आ० पु०; ३८/८७-८९, ४०/१३२-१३३. ४३. आ० पु०; ३८/९०-९२, ४०/१३४-१३९. ४४. आ० पु०; ३८/९३-९४, ४०/१४०. ४५. आ० पु०; ३८/९५, ४०/१४१-१४२ ४६. आ० पु०, ३८/९६-९७, ४०/१४३-१४६. ४७. आ० पु०; ३८/९८-१०१, ४०/१४७-१५१. ४८. आ० पु०; ३८/१०२-३. ४९. आ० पु०; ३८/१०४-८, ४०/१५३-१६४. ५०. आ० पु०; ३८/११२, २१-२२, ३९/९४-९५, ४०/१७२, ४१/३१, ह० पु०, ४२/५. ५१. आ० पु०, ३८/१०९-१२०, ४०/१६५-१७३. ५२. आ० पु०; ३८/१२१-१२६. ५३. पद्मपुराण; आचार्य रविषेण, सम्पा० अनु०- पन्नालाल जैन, भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशन, काशी, ३/५१. ५४. आ० पु०; १५/६२-६४, उत्तर पुराण; आचार्य गुणभद्र, सम्पा० अनु० - पन्नालाल जैन, भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशन, काशी, ६५/७९. ५५. आश्व० गृ० सू०; १/६, बौ०५० सू०; १/११, याज्ञ०; १/५६-६१, मनु० ; ३/२१, वि० पु०, ३/१०/२४. ५६. आ० पु०; ४५/५४, ४४/३२, ४३/१९६, ह० पु०; ३१/४३-५५. ५७. ह०पु०; २९/६६-६७, ४५/३७, प० पु०; ८/१०१-१०८, ९३/१८. ५८. प० पु०; ८/७८-८०, १०/१०, आ० पु०; ४५/३४. ५९. उ० पु०; ७०/११५. . Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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