Book Title: Sramana 2003 01
Author(s): Shivprasad
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 41
________________ रायपुर स्थानकवासी सम्प्रदाय के छोटे पृथ्वीचन्द्रजी महाराज की परम्परा का इतिहास : ३७ वि० सं० स्थान वि० सं० स्थान १९४८ सनवाड़ १९६८ अकोला १९४९ आमेट १९६९ भादसौड़ा १९५० राशमी १९७० घासा १९५१ सनवाड़ १९७१ मोही १९५२ ऊंटाला १९७२ सनवाड़ १९५३ रायपुर १९७३ मालकी १९५४ अकोला १९७४ राजाजी का करेड़ा १९५५ ऊंटाला १९७५ जावरा १९५६ राजाजी का करेडा १९७६ सनवाड़ १९५७ सनवाड़ १९७७ नाथद्वारा १९५८ उदयपुर १९७८ देलवाड़ा १९५९ रायपुर १९७९ १९६० सनवाड़ १९८० देवगढ़ १९६१ बदनौर १९८१ कुंवरिया १९६२ रायपुर १९८२ अकोला गोगुंदा १९८३ ऊंटाला १९६४ ऊंटाला १९८४ छोटी सादड़ी १९६५ रायपुर १९८५ १९६६ सरदारगढ़ १९८६ मावली १९६७ देलवाड़ा १९८७ ऊंटाला आचार्य श्री मांगीलालजी आपका जन्म वि०सं० १९६७ पौष अमावस्या दिन गुरुवार को राजस्थान के राजकरेड़ा में हुआ। आपके पिता का नाम श्री गम्भीरमल संचेती और माता का नाम श्रीमती मगनबाई था। वि०सं० १९७८ वैशाख शुक्ला तृतीया दिन गुरुवार को रायपुर में आचार्य श्री एकलिङ्गदासजी के शिष्यत्व में आपने आर्हती दीक्षा अंगीकार की। आपके साथ आपकी माताजी भी दीक्षित हुईं थीं। आपकी माता महासती फूलकुँवरजी की शिष्या बनीं। वि०सं० १९९३ ज्येष्ठ शुक्ला द्वितीया को मुनि श्री मोतीलालजी के आचार्य पद समारोह के दिन ही आप संघ के युवाचार्य मनोनीत हुये, किन्तु कुछ वैचारिक भिन्नता के कारण आचार्य श्री मोतीलालजी ने युवाचार्य पद को निरस्त कर दिया और आप श्री को सम्प्रदाय का भावी शासक मानने से इन्कार कर दिया। फलत: आपने संघ से अपना सम्बन्ध विच्छेद कर लिया। यद्यपि आगे चलकर आपके शिष्य श्री हस्तीमलजी आदि ढाणा-३ श्रमण संघ में सम्मिलित रायपुर Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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