Book Title: Sramana 1995 10
Author(s): Ashok Kumar Singh
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

View full book text
Previous | Next

Page 11
________________ ७ : ब्रमण/अक्टूबर दिसम्बर/१९९५ ( Record ) पर बुद्ध की मृत्यु के वर्ष से लेकर प्रत्येक वर्ष के व्यतीत होने पर एक बिन्दु ( Dot ) बढ़ा दिया जाता था और इस प्रकार बुद्ध की मृत्यु-तिथि को याद किया जाता था। यह परम्परा कैण्टन में ४८९ ईस्वी तक अविच्छिन्न रूप से चलती रही। ४८९ ई० तक इस पर ९७५ बिन्दु अंकित हो चुके थे। इस पद्धति से बुद्ध का निर्वाण-वर्ष ९७५ - ४८९ = अर्थात् ४८६ ई० पूर्व ठहरता है। इस पद्धति से गणना करना अपने आप में वैज्ञानिक प्रतीत होता है परन्तु इसमें इतनी अधिक विसंगतियाँ हैं जिन्हें स्वीकारा नहीं जा सकता। प्रथम तो यह कि बुद्ध की मृत्यु का समाचार चीन में किस माध्यम से और कितने वर्षों बाद पहुंचा। बुद्ध के जीवन-काल में अथवा उनकी मृत्यु के ५०-१०० वर्षों तक भी उनके विचार चीन तक पहुँच गये थे - इसमें सन्देह है। बुद्ध के लगभग दो शताब्दी बाद होने वाले मौर्य सम्राट अशोक के समय में ही बौद्ध धर्म को अन्तर्राष्ट्रीय स्वरूप प्राप्त हुआ। अशोक ने सुनियोजित रूप से भारत के बाहर बौद्ध धर्म के सन्देश को पहँचाया। इसका समर्थन उसके द्वितीय एवं तेरहवें शिलालेख से होता है। इतने वर्षों बाद बुद्ध की मृत्यु को बिन्दुओं द्वारा प्रदर्शित करने की प्रक्रिया कुछ अस्वाभाविक सी लगती है। इसके अतिरिक्त बुद्ध की मृत्यु से लेकर ४८९ ईस्वी तक अर्थात् लगभग १००० वर्षों के काल में चीन में इतने अधिक राजनीतिक परिवर्तन हुए कि बिन्दु को रखने की परम्परा अविच्छिन्न रही होगी – इसमें सन्देह है। जबकि यह सत्य है कि प्रारम्भिक चीन सम्राटों ने बौद्ध धर्म के प्रति वही विद्वेषात्मक रुख अपनाया था जो हिब्रू जाति के सम्राटों ने ईसाई धर्म के विरुद्ध अपनाया था। अतः यह मत सन्देहास्पद है और इसके आधार पर कोई निर्णय नहीं लिया जा सकता। बद्ध के निर्वाण से सम्बन्धित दूसरा महत्वपूर्ण विदेशी साक्ष्य सिंहल के दीपवंस एवं महावंस ग्रन्थ हैं। इसके अनुसार बुद्ध की मृत्यु के २१८ वर्ष उपरान्त देवानांपिय प्रियदर्शी अशोक का राज्याभिषेक हुआ। अब हमें भारत के इस महानतम सम्राट के राज्याभिषेक की तिथि को ज्ञात करने का प्रयत्न करना होगा। यह एक सरल कार्य नहीं है अपितु विवादों से भरा है। __ मौर्यवंश का यह सपूत इस मामले में सौभाग्यशाली है कि इसके सम्बन्ध में कुछ विदेशी साक्ष्य अकाट्य रूप से प्रस्तुत हैं। अशोक ने अपने अभिलेखों में कुछ नरेशों का उल्लेख किया है जिनके राज्य में उसने अपने दूत भेजे थे। इन यवन नरेशों की ऐतिहासिक पहचान हो चुकी है। इससे यह सिद्ध होता है कि इन नरेशों के शासन-काल के समय अशोक वर्तमान था और इसमें केवल २-४ वर्षों का ही हेर-फेर सम्भव है। इतिहास के लब्ध- प्रतिष्ठ विद्वान हेमचन्द्र राय चौधरी ने अशोक के राज्यारोहण की तिथि के सम्बन्ध में विभिन्न पक्षों की चर्चा करते हुए यह निश्चित किया है कि अशोक का राज्याभिषेक २७७ ई० पूर्व से २७० ई० पूर्व के मध्य हुआ। इस सर्वमान्य इतिहासकार ने अशोक के राज्याभिषेक की तिथि को २७७ ई० पूर्व www.jainelibrary.org Jain Education International For Private & Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 ... 122