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___४३ : अमण/अक्टूबर दिसम्बर/१९९५
कौन सा परिवेश प्रस्तुत होगा शान्ति के लिए?
हे प्रभु ! कब कोई महावीर आयेंगे वैशाली गणतंत्र से कब कोई बुद्ध आयेंगे बोध गया से दे जायेंगे फिर से त्रिवर्ग की परिभाषा पंचमहाव्रत की प्रचलित होगी गाथा
हे प्रभु !
आज का प्रमादी पुरुष तब समझेगा पुरुषार्थ की परिभाषा
यह कौन सा कालचक्र चल रहा है प्रभु !
* छात्र, अहिंसा, शाति और मूल्यशिक्षा विभाग
पार्श्वनाथ विद्यापीठ, वाराणसी – ५
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