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श्रमण / अक्टूबर-दिसम्बर /१९९५
ध्यान न देकर स्नेह की वर्षा करता है। बिना क्षमा के मानवता की लता पनप नहीं सकती। आचार्यश्री ने आगे कहा कोई भी संकट क्षमावान को हिला नहीं सकता । क्षमा और बुजदिली में तो आकाश पाताल का अन्तर है। बुजदिली में घबराहट होती है, चंचलता होती है, क्षमावान में धैर्य होती है, अविचलता होती है। जिसका हृदय पृथ्वी की तरह स्थिर होता है वही क्षमावान हो सकता है। क्षमा बड़े व्यक्ति की निशानी है। महान् व्यक्ति ही क्षमा दे सकता है। किसी भी व्यक्ति को मानसिक, वाचिक या कायिक पीड़ा पहुँचाई हो तो उसके लिए उससे मन शुद्ध पवित्र करके क्षमायाचना करनी चाहिए ।
अभिन्दन एवं पुरस्कार
श्री हजारीमल बांठिया अभिनन्दन समारोह सम्पन्न
प्रसिद्ध समाजसेवी, विभिन्न सांस्कृतिक एवं शैक्षणिक कार्यक्रमों के संचालक तथा पांचाल शोध संस्थान के संस्थापक, साहित्य रसिक और कुशल व्यवसायी श्री हजारीमल बाँठिया का उनके ७२ वें जन्मदिन पर कानपुर में दि० २९ सितम्बर को स्थानीय राजस्थान भवन में विभिन्न संस्थाओं और समाज की ओर से अभिनन्दन किया गया । पूर्वसांसद श्री नरेशचन्द्र चतुर्वेदी ने इस समारोह की अध्यक्षता की। इस अवसर पर श्री मनसुखभाई कोठारी, श्री जुगलकिशोर परसरामपुरिया, श्री ललितनाहटा, श्री एस० के० जैन, श्री वी० के० पारिख, श्री जे० एस० झवेरी, श्री जी० एस० जौहरी, डॉ० प्रतापनारायण टण्डन आदि अनेक महानुभावों ने श्री बाँठियाजी को माल्यार्पण कर उन्हें शुभकामनायें दीं। पार्श्वनाथ विद्यापीठ की ओर से निदेशक प्रो० सागरमल जैन तथा प्रवक्ता डॉ० श्रीप्रकाश पाण्डेय इस समारोह में विशेष रूप से उपस्थित रहे। वीरायतन की अधिष्ठाता आचार्य चन्दनाजी, श्री बाँठिया जी के शतायु होने की कामना करते हुए भारतीय संस्कृति पर विकृत पश्चिमी सभ्यता के कुप्रभाव को तुरन्त रोकने का आह्वान किया। इस अवसर पर श्री बाँठियाजी को एक लाख रुपये की सम्मान निधि भेंट की गयी जिसमें उन्होंने अपनी ओर से ग्यारह हजार और मिलाकर पाञ्चाल शोध संस्थान को समर्पित कर दी। इसी प्रकार वीरायतन की ओर से भी ग्यारह हजार की राशि उन्हें भेंट की गयी जिससे दस हजार रुपये और मिलाकर उन्होंने वीरायतन को वापस समर्पित कर दी। इस अवसर पर श्री बाँठियाजी को अभिनन्दन ग्रन्थ भी भेंट किया गया ।
वीरायतन को “भगवान् महावीर फाउण्डेशन" का प्रथम अवार्ड
अपनी विशिष्ट दान शैली के लिये प्रख्यात, मद्रास के प्रसिद्ध समाजसेवी श्री सुगालचन्द जैन ने विगत दिनों महावीर फाउण्डेशन का गठन किया, जिसका उद्देश्य, अहिंसा, शैक्षणिक, स्वास्थ्य व सामाजिक कार्यों में अपनी सेवायें प्रदान करने वाले व्यक्ति या संस्थाओं को सम्मानित करते हुए उन्हें प्रोत्साहित करना है। इसके अन्तर्गत चयनित व्यक्ति या संस्था को पाँच लाख रुपये नकद, स्मृतिचिन्ह एवं प्रशस्तिपत्र प्रदान किया जाता है। वर्ष १९९५ का यह पुरस्कार वीरायतन को प्रदान किया गया है। वर्ष १९७५ में उपाध्याय
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