Book Title: Sramana 1995 10
Author(s): Ashok Kumar Singh
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

View full book text
Previous | Next

Page 81
________________ ७७ : श्रमण / अक्टूबर-दिसम्बर / १९९५ स्वर्गवास हो गया। दि० ११ अगस्त को पानीपत, हरियाणा में उनकी स्मृति में एक श्रद्धाञ्जलि सभा का आयोजन किया गया जिसमें आचार्य श्री देवेन्द्र मुनि जी० म०, श्री नरेशमुनि जी महाराज, उपप्रवर्तक डॉ० राजेन्द्रमुनि जी म०, श्री रमेशमुनि जी म०, उपप्रवर्तिनी श्री रविरश्मि जी म० तथा स्थानीय जैन समाज के प्रमुख लोगों ने स्वर्गीय महासती जी के गुणों पर प्रकाश डालते हुए उन्हें हार्दिक श्रद्धाञ्जलि अर्पित की। ज्ञातव्य है कि स्वर्गीय महासती जी आचार्य देवेन्द्रमुनि जी महाराज की संसारपक्षीय फुफेरी बहन और उपप्रवर्तक डॉ० राजेन्द्रमुनि जी म० सा० एवं रमेश मुनि जी म सा० की संसारपक्षीय माता थीं । श्रीमती रुक्मिणी देवी दीपचन्द गार्डी दिवंगत प्रसिद्ध एवं कर्मठ समाजसेवी श्री दीपचन्द जी गार्डी की पत्नी श्रीमती रुक्मिणि देवी का विगत दिनों यू० एस० ए० में स्वर्गवास हो गया। पार्श्वनाथ विद्यापीठ, श्रीमती गार्डी के असामयिक मृत्यु पर अपनी हार्दिक संवेदना व्यक्त करता है। संस्थान में श्रीमती गार्डी के नाम पर एक प्राकृत एवं जैन विद्या उच्च अध्ययन केन्द्र की स्थापना सन् १९८९ में हुई । भवन की ऊपरी मंजिल के निर्माण के लिए भी रु० ५ लाख का आर्थिक अनुदान श्री दीपचन्द गार्डी द्वारा संस्थान को प्रदान किया गया। संस्थान के प्रति गार्डी परिवार की शुभेच्छा एवं आत्मीयता को देखते हुए संस्थान श्रीमती गार्डी के निधन को अपनी व्यक्तिगत क्षति मानता है । समस्त विद्यापीठ परिवार दिवंगत आत्मा की शान्ति हेतु प्रार्थना करता है । इस सन्दर्भ में संस्थान में एक शोकसभा के माध्यम से श्रीमती गार्डी को श्रद्धाञ्जलि अर्पित की गई तथा उनके अस्थिकलश के प्रदर्शन के पश्चात् उनकी अस्थियाँ पवित्र गंगा में विसर्जित कर दी गईं। मृत्यु महोत्सव जैन विद्या के मनीषी विद्वान सिद्धान्ताचार्य पं० जगन्मोहनलाल शास्त्री ने कुण्डलपुर ( दमोह ) में सुप्रसिद्ध सन्त १०८ आचार्य विद्यासागर महाराज जी के सान्निध्य में दिनांक ७-१०-९५ को सायं मृत्यु का वरण किया। पण्डित जी जीवन भर जैन धर्म एवं दर्शन के अध्ययन-अध्यापन, मनन और चिन्तन में निरत रहे । मात्र यही नहीं, उन्होंने उसे जीने का भी प्रयास किया। अन्त में जैन परम्परा के अनुसार समाधि धारण कर उन्होंने अपनी मृत्यु को भी महोत्सव के रूप में परिवर्तित कर दिया। उनकी स्मृति में पार्श्वनाथ विद्यापीठ में श्रद्धाञ्जलि सभा की गयी। प्रो० सागरमल जैन ने पण्डित जी की विद्वत्ता, साहित्य साधना एवं आचार निष्ठा पर महत्त्वपूर्ण प्रकाश डाला। तत्पश्चात् दिवंगत आत्मा के शान्तिलाभ की मंगलकामना की गयी । श्रीमती भँवरीदेवी भंसाली का निधन श्री जैन सभा कलकत्ता के अध्यक्ष श्री रिखबदास जी भंसाली की धर्मपत्नी श्रीमती भँवरी देवी के निधन पर दि० १५ अगस्त को जैन सभा के सभागार में एक श्रद्धाञ्जलि सभा का आयोजन किया गया। जिसमें समग्र जैन समाज के प्रतिनिधियों ने उनके सद्गुणों का वर्णन करते हुए उन्हें हार्दिक श्रद्धाञ्जलि अर्पित की। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122