Book Title: Sitaram Chaupai
Author(s): Agarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
Publisher: Sadul Rajasthani Research Institute Bikaner

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Page 12
________________ [ ख ] पहला ग्रन्थ विमलमूरि का पउमचरियं हिन्दी अनुवाद के साथ प्राकृत ग्रन्थमाला से प्रकाशित हो चुका है। इस ग्रन्थ का भी उल्लेख प्रस्तुत सीताराम चौ० मे भी किया गया है पर सीताचरित्र-जिसके आधार से इस चौपाई की रचना हुई का प्रकाशन होना भी अत्यावश्यक है। दोनों ग्रन्थ प्राकृत भाषा मे और प्राचीन है पर कथा एव नामों में कहीं-कहीं अन्तर मी है। प्रस्तुत सीताराम चौ० की कथा को सर्व साधारण समझ सके इसलिए उसका संक्षिप्त सार भी ग्रन्थ के प्रारम्भ मे दे दिया गया है। प्रो० फूलसिंह और डा० कन्हेयालाल सहल के प्रस्तुत ग्रन्थ सम्बन्धी प्रकाशित लेखों को इस ग्रन्थ मे देने के साथ साथ राजस्थानी भाषा की रामचरित सम्बन्धी रचनाएँ और कविवर समयसुन्दर का विस्तृत परिचय भी भूमिका में दिया गया है । अन्त से चौपाई में प्रयुक्त देशी-सूची भी दे दी गई है। शब्दकोष देने का विचार था पर ग्रन्थ बड़ा हो जाने से वह विचार स्थगित रखना पड़ा है। यों कथासार दे देने से ग्रन्थ को समझने में कोई कठिनाई नहीं रहेगी। ___ अनूप संस्कृत लाइब्रेरी की जिस प्रति से पहले नकल करवायी थी उसमे लेखन प्रशस्ति नहीं थी। फिर हमारे संग्रह की सं० १७३१ की लिखित प्रति से प्रेसकापी का मिलान किया गया। अन्त मे अनूप संस्कृत लाइब्रेरी मे ही कवि के स्वयं लिखित प्रस्तुत चौपाई की एक और प्रति प्राप्त हुई, सरसरी तौर से उससे भी मिलान कर लिया गया है । एवं स्व० पूरणचन्दजी नाहर के संग्रह की प्रति का भी इसके संपादन में उपयोग किया गया है।

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