Book Title: Siri Usahanahchariyam
Author(s): Vijaykastursuri, Chandrodayvijay Gani
Publisher: Nemi Vigyan Kastursuri Gyanmandir

View full book text
Previous | Next

Page 145
________________ 121 कयमालदेवाहिगारो। .जयसु जयसु एसो अहं तुव सेवगो अम्हि, मं पसाससु' त्ति वोत्तूणं सो कोसाहिवो व्व महग्याई रयणाई रयणालंकरणाई च देवदूसाइं च तह पयावसंपयाए कीलागेहसरिसाई बहुआई भदाइं भदासणाई अप्पेइ / महीवई तस्स तं च सव्वं पडिगिण्हेइ, 'भिच्चाणुग्गहहेउणा अलुद्धा वि सामिणो उवहारं गिण्हेइरे' / अह निवो तं संभासिऊण संगा. रवं विसज्जेइ, 'महंता हि समस्सियं साहारणजणं पि नावमण्णेइरे', तो पुढवीवई अट्ठमभत्तस्स पारणं तह य वेयड्ढगिरिदेवस्स अट्ठाहियामहूसवं कुणेइ / तओ चक्करयणं तमिस्सगुहं उदिसिऊण चलेइ, राया वि पयण्णेसंगरसेव तस्स पिट्टओ गच्छेइ, कमेण तमिस्सगुहासमीवे गंतूण नरिंदो गिरिणो हिटुंमि ओइण्णाई विजाहरपुराणीव सेण्णाई आवासेइ। कयमालदेवाहिगारो अह भूवालो कयमालदेवं मणंसि काऊणं अट्ठमं तवं समायरेइ, तस्स य देवस्स आसणं चलेइ, सो अवहिनाणाओ समागयं चकवहि नच्चा चिरेणागयं गुरुमिव तं च अतिहिं अच्चिउं आगच्छेइ, 'हे सामि ! एयंमि तमिस्सादुवारंमि तुम्ह दुवारपालुव्व अहं अम्हि' त्ति बवंतो महीभत्तुस्स स सेवं पडिवज्जित्ता इत्थीरयणोइयं अणुत्तमं तिलगचउद्दसं दिव्वाभरणसंभारं सो वियरेइ, तह य पुव्वं तयहमिव धारियाई तस्स जोग्गाई मल्लाई, दिवाइं च वसणाई आयरेण देइ / राया तं सव्वं गिण्हेइ, 'कयत्था वि नरिंदा दिसिविजयसिरीए चिन्हरूवदिसादंडं न चयंति', अइमहंतेण पसारण भरहनिवो तं . * संभासिय अज्झयणपज्जते उवज्झाओ सीसमिव विसज्जेइ / 'पिहन्भूएहिं नियंसेहिं इव भूमिठवियभायणेहिं भुंजमाणेहिं रायकुंजरेहिं समं सो पारणं कुणेइ, तओ सो कयमालदेवस्स अट्ठाहियामहोच्छवं कुणेइ, 'पणिवारण गहिया पहवो किं न कुणंति' / सिंधुनईए परतडस्थिअमिलिच्छाणं विजओ। अण्णया इलावई ससेणनामं सेणावई आहविऊण हरिणेगमेसिदेवं इंदोव्व आदिसेइ, तुम चम्मरयणेण सिंधुनई उत्तरिऊण सिंधु-सागर-वेयड्ढसीमाधरं दाहिणिल्लसिंधु 'निक्खुडं साहेसु, तत्थ मिलिच्छे बोरीवणव्य आयुहलट्ठीहिं तालिऊणं चित्तचम्मरयणस्स संव्वस्सफलं आहरेहि / तओ स सेणाहिबई तत्थुप्पन्नो इव जलत्थलजायनि 1 सगौरवम्-सादरम् / 2 पदान्वेषकस्येव / 3 पृथग्भूतैनिजांशैरिव / 1 निष्कुटम्-पर्वतविशेषम् / 5 बदरीवनवत् / 6 सर्वस्वफलम् /

Loading...

Page Navigation
1 ... 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242 243 244 245 246 247 248 249 250