Book Title: Siri Usahanahchariyam
Author(s): Vijaykastursuri, Chandrodayvijay Gani
Publisher: Nemi Vigyan Kastursuri Gyanmandir
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________________ माणिक्कमग्गस्स बाहुबलिस्स सरूवं / रत्तीए गिरितडं पिव देहेण तस्स देहं अवटुंभित्ता निहासुहं अणुभवेइरे, करिणो सल्लइतरुपल्लवभमेण तस्स पाणि-पाए मुहं करिसंता करिसिउं असक्का 'वेलक्खं पत्ता गच्छति, चमरीगावीओ वीसासमावण्णाओ उड्ढमुहीओ करपत्तव्व कंटकसरिसकरालजीहाहिं तं लिहंति, उच्चएहिं पसरंतीहिं सयसाहाहि लयाहिं चम्म-रज्जूर्हि 'मुअंगो वित्र सो सव्वओ वेढिज्जइ, पुन्वसिणेहवसागयसरपुण्णतोणीरसरिच्छा सर-थंबा तं निरंतरं परिओ परोहंति, पाउसपंक-निमग्गेमुं तस्ससुं पाए अणप्पाओ चलंत-संयपइगभियदब्भसईओ उग्गच्छंति, वेल्लि-संकुले तस्स देहम्मि परुप्पराविरोहेण सेण-चडगाइपक्खिणो निड्डाई कुणेइरे, तस्स वल्ली-वित्थार-गहणे सरीरे सहस्ससो महोरगा अरण्ण-मोर-सद्देण तसिया समाणा समारोहंति, देई अहिरूदेहि पलंबमाणेहिं तेहि भुजंगमेहिं बाहुवली बाहुसहस्सं धरंतो विव विराएइ, स चरणेसुं पायसमीव-थिअ-वम्मीअविणिग्गएहि महोरगेहिं पायकडगेहिं पिव वेढिज्जइ, इत्थं झागेण संठियस्स तस्स बाहुबलिणो आहारं विणा विहरंतस्स वसहसामिणो इव एगो वरिसो गओ। पुण्णे उ संवच्छरे बीसवच्छलो भयवं वसहसामी बंभी-सुंदरीओ आहविऊण आदिसेइ-:एण्डिं सो बाहुबली खीण-पउरकम्मो सुक्कचउद्दसीरत्ती विव पारणं तमरहिओ जाओ, केवलं सो मोहणीयकम्मंस-माणाओ केवलनाणं न पावेइ, जओ खंडपडेणावि तिरोहिओ अत्थो न हि दीसइ, तुम्हाणं वयणेण सो माणं चइस्सइ / तुम्हा अज्ज तम्हे तत्थ गच्छेह, तस्स उवदेसदापढें खलु अहुणा समओ वट्टइ, तओ बंभीमुंदरीओ पहुणो आणं सीसैण घेत्तूणं चलणाइं च वंदिऊण बाहुबलि पइ गच्छेइरे / पहू णच्चा वि तस्स माणं संवच्छरं जाव उविक्खित्था, जओ अमूढलक्खा अरिहंता समए उवदेसगा हवेइरे / ताओ अज्जाओ तत्थ देसे गयाओ, किंतु र्रयच्छण्णरयणं पित्र वल्लीतिरोहिअं तं मुणिं न पासिंति, अह मुहं अण्णेसंतीहिं तीहिं तहत्थिओ तरुस रिसो सो कहंचि उवलक्खिओ, निउणभावेण तं उवलक्खिऊर्ण पयाहिणतिगं काऊण ताओ महामुणिं बाहुबलिं वंदिऊण एवं वयंति-जेहज्ज ! ताओ भयवं तुम इमं आणवेइ 'गय-खंधाहिरूढाणं केवलं न उप्पज्जेज्ज' त्ति वोत्तूण ताओ भगवईओ जहागयाओ तह पडिगयाओ / सो वि महप्पा अणेण वयणेण बिम्हय. मावण्णो एवं चिंतेइ-चत्तसावज्जजोगस्स तरुणो विव काउस्सग्गे संठियस्स मम एयम्मि रणम्मि गयारोहणं कत्थ ? इमीओ भगवंतस्स सीसाओ कत्थइ मुसं न 1 अवष्टभ्य-अवलम्ब्य / 2 वैलक्ष्यम् लज्जाम् / 3 मृदङ्गः / 4 तूणीरम्-बोणर्नु भाथु / 5 शरस्तम्बाःमुजतृणगुच्छाः / ६शतपदीगर्भितदर्भसूच्यः / 7 इदानीम् / 8 रज छन्न / 9 अन्विष्यन्तीभ्याम् /

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