Book Title: Siri Usahanahchariyam
Author(s): Vijaykastursuri, Chandrodayvijay Gani
Publisher: Nemi Vigyan Kastursuri Gyanmandir
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________________ उसहसामिणो अट्ठावयगिरिम्मि समागमणं / 189 * अक्खयं मटियाथलमित्र, मज्झभागसमासीण-कीला-संत-कुरंगेहिं सिहरेहिं दंसिआणेगमयलंछण-विब्भमं, निज्झरपंतीहि चत्तनिम्मलुत्तेरिज्जं पिव, उदचिरमरकंतमणिकिर णेहिं उड्ढपडागं पिव, तुंग-निम्मल-सिहर-ग-संकमिएण आइच्चेण मुद्धविज्जासिद्धबल्लहाणं दिण्णुदयगिरिभमं, मऊरपत्तरइहिं महंतेहिं आयपत्तेहिं पिव अच्चंत'ह-पत्तबह लेहिं तरूहि कयनिरंतरच्छायं, कोउगेण खेयरीहिं लालिज्जमाणेसुं हरिणयालेसुं अओ चेव शरंतहरिणीखीरसिंचिज्जमाणलयावणं, परिहिये केलीपत्तवसणसवरी-नद पेक्खिउं सेणीकयनयणपत्ताहिं देवंगणाहिं अहिडियं, सुरय-संत-उरगी-पीय-मंद-मंद-वणपरणं, वणाणिल-नड-कीला-पणष्ट्रियलयावणं, किण्णरीगण-रयारंभ-मंदिरीभूयकंदरं, अच्छराजणमज्जणभरेण उत्तरंगिःसरोवरजलं, कत्थ वि सारि-जयकेलिपरेहिं कत्थइ पाणगोद्विरएहिं कत्थ य आबद्धपणिएहिं जक्खेहिं कोलाहलीकयमज्झभागं, कत्थइ सबरनारीहिं कत्थइ किण्णरीहिं कत्थ य विज्जाहरवल्लहाहिं पारद्ध-कीला-गीयं, कत्थ वि पक्क-दक्खाफल-भक्खणुम्मत्तसुगेहि कयारावं, कत्थ वि अंबंऽकुराऽसणोम्मत्त-कोइल-कय पंचमसरं, कत्थ य नवमुणालाऽऽसायणमत्तहंससरुद्धरं, कत्थ सरियातडुम्मय-कोचकेंकार-रवमुहरं, कत्थ 'वि आसण्ण-जलहर-दंसणुम्मज्जंत-मोर-केकारवाउलं, कत्थ य सरोवरपरिसरंत-सारस-सर-सुंदरं, कत्थ वि रत्तासोगवणेहिं कोसुंभवसणं पिव, कत्थ य ताल-तमाल-हिंतालेहिं नीलंबरं पिव, कुसुमंचिय किसुयतरुहिं कत्थ वि पीयंमुगं पिव, मालइ-मल्लिका-वणेहिं कत्थ वि सेयवत्थं पिव, एरिसं तं गिरिंगरिर्ट अटू-जोयणुस्सएण गयणपज्जंतुण्णयं अठावयगिरि जगगुरू आरोहेइ / सो गिरी वाउ-विकीपणेहिं तरुकुसुमेहिं निज्झरवारीहिं च तिजगसामिणो ‘अग्यं विहेइ इव / समवसरणं अह सामिपायपवित्तिओ सो अट्ठावयगिरी पहुजम्मणमहसवेण पवित्तीकयमेरुगिरित्तो अप्पाणं हीणं न मण्णेइ, पहरिसिय-कोइलाइ-कूइयमिसेण सो अट्ठावयाऽयलो जगणाहगुणे मुहुँ गायइ इव / तत्थ चउन्विह-देवा समोसरणं विरयंति अह. वाउकुमारदेवा जोयणप्पमाणखेत्तम्मि संमज्जणीजीविणो विव खणेण तिणकट्ठाइयं हरेइरे, मेहकुमारदेवा सज्जो अभाई पाणियमहिसे विव विउव्विऊण गंधजलेहिं तं पुढविं सिंचेइरे, देवा विसालाहि 1 उत्तरीयं-उपरितनवस्त्रम् / 2 ऊर्ध्वगच्छत् / 3 आईपत्र / 4 कदलीपत्र-। 5 पाशफलकग्रतपरैः। 6 पणितैः / 7 किंशुकः-पलाशवृक्षः। 8 अर्ध्यम् / 9 संमार्जनी-सावरणी इति भाषायाम्।

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