Book Title: Siri Usahanahchariyam
Author(s): Vijaykastursuri, Chandrodayvijay Gani
Publisher: Nemi Vigyan Kastursuri Gyanmandir

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Page 161
________________ भरहस्स अउज्झाए पवेसा / वंतरे भुवणवइणो विय बीहावंतो, गोउलंमि गोउलंमि वियसंतनयणाणं गोवंगणाणं मक्खणं - अणग्यं अग्यं पित्र भत्तीए गिह माणो, वणंमि वर्णमि चिलायाणं कुंभि-कुंभत्थलुब्भूयमोत्तियपमुहपाहुडाई गिण्हंतो, पब्बए पव्वए पव्वयवासिभूवेहिं पुरओ ठवियं रयण-सुवण्णखणि-सारवत्थु अणेगसो अंगीकुणंतो, गामे गामे सोकंठियगामवुड्ढे बंधवे इव सपसायं गहियाऽगहियपाहुडेहिं अणुगिण्हंतो, खेत्तेहिंतो गावीओ इव वीसुं पसरियनियसेणिगे पयंड-नियाऽऽणालट्ठीए गामेहितो रक्खमाणो, पवंगमे इव रुक्खसमारूढगामिल्लदारगे तणए जणगो विव सहरिसं पासमाणो, सव्वया उबद्दवरहिय-धण-धन्नजीवधणेहिं गामाणं संपयं नियनीइलयाए फलं चिय पासंतो, नईओ पंकिलीकुणंतो, सरोवराई परिसोसंतो, वावी-कूवे य पायालविवरोवमे कुणमाणो, मलयगिरिपवणुब्व लोगाणं सुहं दितो दुन्विणीयाऽरिसासणो नरवई सणियं सणियं गच्छंतो विणीयानयरिं पावेइ / महीवई तीए नयरीए सहोयरमिव अतिहीभूय खंधावारं अउज्झाए समीवंमि निवेसेइ, तओ सो रायसिरोमणी तं रायपाणिं मणंसि काऊण निरुवसग्गपञ्चयं अट्ठमं तवं विहेइ, अट्ठमतवंते पोसहसालाओ निकमिऊण अन्ननिवेहि सह दिव्वरसवईए पारणं कुणेइ / अउज्झानयरीए पए पए दिगंतराऽऽगयसिरीणं कीलादोला इव उच्चएहिं तोरणाई बंधिज्जंति, पउरजणा पहंमि पहंमि जिणजम्मणमहंमि गंधंबुवुट्ठीहिं पिव कुंकुमवारोहिं छंटणं कुणेइरे, पुरभो अणेगीभूय समागयनिहीहिं विव सुवण्णथंभेहिं मंचए विरयंति, अण्णुण्णसंमुहसठिया ते मंचया उत्तरकुरुथियदहपंचगस्स उभयपासओ दस दस कंचणगिरिणो इव रेहंति / पडिमंचं रयणमइयतोरणाई इंदधणुह सेणिसोहापराभवं कुणंताई संति, विमाणेसुं गंधैवाऽणीयमिव मंचेसु गाइगाजणो वीणामयंगाइवायगजणेहि सह अवचिढेइ, मंचएसु उल्लोयाऽऽवलंविणो मोत्तिोऊला सिरीए वासागारेसुं कंति-थर्वइयाऽऽगासा विव पयासेइरे / पमोय-पुण्णपुरीदेवीए हसिएहिं पिव चामरेहि, गयणमंडणभंगीहिं इव चित्तकम्मेहिं, कोऊहल्लसमागयनक्खत्तेहिं विव सुवण्णदप्पणेहि, खयराणं हत्थपडेहिं इव अनुयवस्थेहि, सिरीणं मेहलाहिं विव विचित्तमणिमालाहिं उड्ढीकयथंभेसु नगरजणा हट्टसोहं विहेइरे। पउरजणा महुरझुणि-रसंत-सारसं सरयकालं दंसिंतीओ पक्कणंतखिखिणीमालाओ पडागाओ बंधेइरे, पडिहर्स्ट पडिगेहं च जक्खकदमगोमएहिं लित्तंगणेसुं मोत्ति-सथिए पूरिति, अगरुचुण्णेहिं उच्चएहिं गयणंपि धूवाविउं धूविज्जमाणाओ धूवघडीओ पए पए पूरेइरे / मुहमि खणंमि नयरीए पवेसं इच्छतो इंदुव्व चकवट्टी मेहमिव गज्जंतं गयमारोहेइ / जो य कप्पुरचुण्णपंडुरेण एगेणच्चिय सेयाऽऽयवत्तेण मयंकमंडलेण 1 विष्वक् / 2 गन्धर्वानीकम / 3 मौक्तिकावचूला. मोतीनी झालर / 4 स्तबकितः-गुच्छयुक्त।

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