Book Title: Siri Usahanahchariyam
Author(s): Vijaykastursuri, Chandrodayvijay Gani
Publisher: Nemi Vigyan Kastursuri Gyanmandir
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________________ भरहबाहुबलीणं जुद्धं / 279 इवणसण्णापडं पिव भिसं भमाडेइ, तओ बाहुबली तेण दंडेण चक्वहिं हिययम्मि निदयं लउडेण कणमूढयं पिव ताडेइ / तेण घाएण चक्वहिणो दढयरो वि सण्णाहो घडुव्व खंडसो सहसा विणढो, तया जिण्णकवओ चक्कवट्टी मेहरहिओ आइच्चो इव धृमरहिओ पावगो विव अमरिसेण अहियं पयासइ, सत्तममयावत्थापत्तो गओ इव खणद्धं विहलीहओ किंपि न चिंतेइ, चक्कवट्टी पुणो सावहाणो समाणो अविलंबेण पियमित्तं पिव बाहुपोरिसं आलंबित्ता दंडं घेत्तणं भुज्जो बाहुबलिं अभिधावेइ, दंतेहिं अहरं पीलंतो भिउडीभंगभीसणो भरहो वडवानलविडंबगं दंड भमाडेइ, चक्कपाणी तेण दंडेण कप्पंतकालमेहो विज्जुदंडेण पव्वयं पिव वाहुबलिं मुद्धम्मि ताडेइ / तेण घारण वाहुबली. लोहाहिगरणीमज्झम्मि आहओ बेइरोवलो वित्र भूमिम्मि आजाणुं मज्जेइ, सो भरहदंडो वइरसारे वाहुबलिम्मि अप्फालिऊण तेण नियावराहेण भीओ विव विणट्ठो। भरहस्स चक्मोयणं __पुढवीए आजाणुं मंग्गो वाहुवली तइया पिच्छाए अवगाढो अयलो विव पुढ. वीओ निग्गयसेसो सेसनागुव्व रेहइ, जिट्ठवंधुविक्कमेण अंतो विम्हयपत्तो विव तीए घायवियणाए स मत्थयं धुणावेइ, ताहे तेण घाएण पत्तवेयणो वाहुबली खणं अज्माप्परओ जोगिव्य न किंचि सुणेइ, तओ सुक्क-सरिया-तड-पंकमज्झाओ हत्थीव पुढवीमज्झाओ सुणंदानंदणो निज्जायइ, अमरिसणप्पहाणो सो लक्खारसाऽरुणदिहिपाएहि तज्जयंतो विव नियबाहुदंडे दंडं च पासेइ, तो तक्खसिलावई तक्खगनागं पिव दुप्पेक्खणिज्जं तं दंडं एगेण हत्थेण अभिक्खणं भमाडेइ, सुणंदातणएण अइवेगेण भमाडिज्जमाणो सो दंडो राहावेहपरिभमंतचक्कसोहं वहेइ, भमंतो पेक्खिज्जमाणो वि सो दंडो पेक्खगाणं नयणाणं भमणं विहेइ / जइ अमुणो हत्थाओ एसो दंडो पडिस्सइ तया उप्पडंतो एसो कंसपत्तमिव आइच्चं फोडिस्सइ, भारुडपक्खिणो अंडगं पिव चंदमंडलं चुण्णिस्सइ, आमलगतरुणो फलाई पिव तारागणे भंसिस्सइ, 'निड्डाई पिव वेमाणियविमाणाई पाडिस्सइ, वम्मीअन्य पव्वयसिंगाई दलिस्सइ, तिणबुंदं पिव महातरुनिउंजाइं पिसिहिइ, अपक्क-मट्टिया-गोलग पिव मेइणि भिंदिस्सइ ति सइण्णेहि अमरेहिं च पेक्खिज्जमाणो बाहुबली भूवई तेण दंडेण चक्कवटि सिरम्मि निहणेइ / महंतेण तेण दंडाभिघाएण चक्कवट्टी मोग्गराहयखीलव्य आकंठं उब्वीए 1 वज्रोपलः-वज्रमणिः / 2 पक्षिगृहाणि / 3 कीलकवत् /

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