Book Title: Siri Usahanahchariyam
Author(s): Vijaykastursuri, Chandrodayvijay Gani
Publisher: Nemi Vigyan Kastursuri Gyanmandir
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________________ सिरिउसहनाहचरिप कुद्धो' इअ आसंकिऊण देवेहिं पेक्खिओ सुणंदानंदणो उच्चएहिं मुटिं उक्खेवेइ, तेण मुट्ठिणा सो महामत्तो अंकुसेण गयं कुम्भत्थलम्मि इव चक्कवहि उरत्थलम्मि ताडेइ / तेण घाएण दंभोलिपारण गिरिव भरहेसरो मुच्छाविहलो भूयलम्मि पढेइ, पडतेण तेण सामिणा कुलंगणा इव भूमी कंपेइ, बधुणा बंधवो विव पव्वया वि वेवंति / मुच्छियं नियजिट्ठभायरं दट्टणं बाहुबली चिंतेइ-खत्तियाणं वीरवयनिबंधम्मि को इमो 'कुहेवागो ?, जहिं नियभायरम्मि एरिसो निग्गहंतो विग्गहो होइ, जइ जिहो बंध न जीवेज्जा ता मज्झ वि जीविएण अलं एवं मणसि कुणभाणो नयणजलेहिं तं सिंचंतो बाहुबली नियं उत्तरिज्जं वीणीकाऊण तओ भरहं वीऐइ / अह चक्कवट्टी खणेण लद्धसण्णो सुत्तो विव उट्ठाइ, पुरओ य भिच्चं पिव ठिअं बाहुबलि पासेइ, खणं ते उहे वि बंधवा हिटमुहा चिट्ठति, अहो ! महंताणं पराजओ जओ य वि लज्जाइ सिया / तो चक्कवट्टी किंचि पच्छा अवक्कमेइ 'ओयंसीणं पुरिसाणं इमं हिं जुद्धिच्छालक्खणं' / पुणो वि अज्जो भरहो केणइ जुद्धेण जुज्झिउ इच्छेइ, 'माणिणो जावज्जीवं मणय पि माणं न उज्झंति' / बाहुबलिस्स खलु भाउहच्चाभवो बलवंतो अवण्णवाओ होहिइ त्ति मण्णेमि, एसो आमरणंते वि नेव विरमिस्सइ इअ जाव खणं वाहुबली चिंतेइ ताव चक्कवट्टी जमराओ विव दंडं उवादेइ। चक्कवट्टी उक्खित्तेण तेण दंडेण चूलाए अयलो विव सो रेहेइ / ___ अह भरहभूवई उप्पाय केउभमकारणं तं दंडं नहंसि भमाडेइ, सीहजुवा पुच्छदंडेण महीयलं पिव तेण दंडेण बाहुबलिं सिरम्मि ताडेइ, सज्झगिरिम्मि अप्फलंतीए जलहिणो वेलाए विव तस्स सिरम्मि चकिणो दंड घाएण महंतो सदो होज्जा। चक्कवट्टी दंडेण बाहुब लिस्स मत्थय-थिअ-मउडं लोहघणेण अहिगरणीए अवस्थिअं लोहं पिव चुण्णेइ / बाहुबलिमुद्धाओ मउड-रयण-खंडाई वायंदोलियरुक्खग्गाओ पुप्फाइं पित्र भूयले पडेइरे, तेण घाएण-बाहुबली खणं मउलियनयणो जाओ, तस्स भयंकरेण निग्योसेण लोगो वि तारिसो जाओ / तओ खणेण बाहुवली वि नयणाई उम्मीलिऊण हत्थेण पयंडं लोह दंडं गिण्हेइ, तइया अयं मं किं पॉडिस्सइ, कि ममं उप्पाडिस्सइ ति सग्ग-पुढवीहिं जहक्कम सो आसंकिज्जइ, बाहुबलिणो मुट्ठीए सो आयो लोहदंडो पव्वयस्स अग्गभागस्थिअ-म्मिए उरगो विव छज्जइ / अह तक्खसिलावई तं दंडं दूरओ अंतगाऽऽ महामात्रो-हस्तिपकः / 2 कुस्वभावः / 3 निग्रहान्तः / 5 व्यजनीकृत्य / 5 वीजयति / 6 उभौ। आर्यः। 8 अधिकरणी-एरणइति भाषायाम् / 9 उन्मील्य / 10 पाटयिष्यति विभागं करिष्यति / 11 उत्याटयिः यति-उन्मूलयिष्यति / 12 वल्मीकः राफडो। 13 यमाह्वनसंज्ञापटमिव /

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