Book Title: Siri Usahanahchariyam
Author(s): Vijaykastursuri, Chandrodayvijay Gani
Publisher: Nemi Vigyan Kastursuri Gyanmandir

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Page 186
________________ 162 सिरिउसहनाहरित पिव रेहेइ, अह सज्जो तच्चित्ताहिटिया इव तस्स लक्खसो हत्थारोहा साइणो रहिणो पाइक्का य निगच्छन्ति, अयलनिच्चो सो बाहुबली सत्थधरेहिं ओयंसीहिं नियमहडेहि पुढविं एगवीरमइयं पिव रयंतो चलेइ / तस्स वीरपुरिसा असंविभागजय-जसकंखिणो परुप्परं 'अहं इक्कोवि सत्तुगो जिणिस्सं' ति वयंति, तत्थ सेण्णम्मि कोहलवायगो वि वीरमाणी होज्जा, रोहणायलम्मि हि कक्करा वि सव्वे मणिसरूवधारिणो हुंति / भरह-बाहुबलीणं सइण्णववत्था / तयाणि चंद-सरिस-पंडूहि महामण्डलियरायच्छत्तमण्डलेहिं गयणं पुंडरीयमइयं इव संजायइ / बाहुबली पत्तेगं पि महोयंसिणो नरवइणो पासन्तो नियबाहवे विव उच्चेर्डि मण्णमाणो अग्गो वच्चेइ / सेण्णाणं उद्दामेहिं भारेहिं पुढवि जयतुरियरवेहिं च सग्गं अप्फोडिंतो इव बाहुबली पहम्मि वच्चंतो दूरसंठिए वि नियदेससीमम्मि सिग्धं जाएइ, समरुक्कंठिआ सुहडा खलु पवणाओ वि वेगवन्ता हुविरे / बाहुबली भरहेसरस्स सिविराओ नाइदुरे नच्चासण्णे गंगातडम्मि नियं खंधावारं निवेसेइ / अह पच्चूसकालम्मि अण्णमण्णं अइहिणो विव ते भरह-बाहुबलिणो मागहेहि संगामूसवाय निमंतेइरे / अह बाहुबली रत्तीए सवरायाणुमयं परक्कमणे सिंह पिव निय सिंहरहपुत्तं सेणावई कुणेइ, पट्टहथिणो विव अस्स मुद्धम्मि दित्तिमंतो पयावो इव सुव्यण्णमइओ रणपट्टो वाहुबलिणा सयं निवेसिज्जइ / सो रायाणं नमंसिऊण लद्धरणसिक्खाए हरिसिओ अप्पणो आवासं गच्छेइ, वाहुबलीनिवो जुद्धढे अण्णे वि राइणो आदिसित्ता विसज्जेइ, सयं रणथीणं ताणं सामिसासणं चिय सकारो एव / भरहचक्कवट्टी वि आयरिओव्य सुसेणसेणावइणो रायकुमार-नरवइसामन्तरायसंमयं रणदिक्खं पयच्छेइ, सुसेणो . सिद्धमन्तं पिव सामिसासणं घेत्तृण चक्कवागो विव पभायं इच्छंतो नियगेहं पयाएइ, भरहेसरो बद्धमउडे रायकुमारे इयरे वि सामन्तराए आहविऊण समराय अणुसासेइ-'हे महोयंसिणो ? सुहडा ! मम अणुयस्स बाहुबलिस्स रणम्मि अपमत्तेहिं तुम्हेहिं अयं सुसेणसेणावई अहं पित्र अणुसरिय यो, भो भो ! भवंतेहिं महामत्तेहिं हथिणो इव भुयदुम्मया बहवो नरवणो वसंवया कया, वेयड्ढगिरि च अइक्कमित्ता देवेहिं असुरा विव दुज्जया चिलाया विक्कमेहिं बाढं अक्कन्ता, हन्त ! ते सव्वे जिणिज्जन्तु, जओ तेसुं तक्खसिलाहिवइपाइक्कमेत्तस्स संणिहो न को वि होत्था, एगो वि बाहुबलिणो जेठो पुत्तो 1 सादिनः-अश्वारोहाः / 2 वाद्यविशेषः / 3 महौजस्विनः / 5 मिजवाहून् / 5 भतिथी इव / 6 मागधैश्चारणैः / 7 महामात्रैः-हस्तिपकैः /

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