Book Title: Siri Usahanahchariyam
Author(s): Vijaykastursuri, Chandrodayvijay Gani
Publisher: Nemi Vigyan Kastursuri Gyanmandir

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Page 191
________________ 167 संगामपारंभे जिणिंदपूअणं / . सामि ! पुढवीए विहरमाणस्स तुम्ह वि चरणरेणवो नराणं पावदुमुम्मूलणे दाउं तुम चिय एगो सको सि, जे तुम्हेच्चय-पाय-पउमेसु भमरायति ताणं मणस्स मेरुप्पमुहं पित्र लोयग्गं न दुरे, देव ! भवंत-देसणावयणेहिं पाणीणं कम्मपासा जलहरजलेहिं जंबुफलाई पिव सिग्धं गलंति, जगदीसर ! तुमं मुहं मुहुँ पणमिचा इमं पत्थेमि तुम्ह पसायाओ तुमम्मि भत्ती जलहिजलमिव अक्खया होउ" इअ आइनाई थुणिऊण नसंसिऊण य भत्तिमंतो चक्कवट्टी भरहनरिंदो देवयागाराओ निग्गच्छेइ / तओ सो निवो पमाणविनिम्मियं कवयं भुज्जो भुज्जो सिढिलीकाऊण हरिसससिएण अंगेण धरेइ, तेण अंगलग्ग-दिव्य-मणिमइयवम्मेण महीवई माणिक्कपूआए देवपडिमा इव विराएइ / तो सो भरहेसरो बीयं मउडं पिव मज्झम्मि उच्चं छत्तवटुलं सुवण्णरयण---सिरत्ताणं धरेइ, नागराए विव अच्चंत--तिक्ख-- नाराय --दंतुरे दोण्णि तोणीरे पिट्टम्मि बंधइ, तो सो इंदो विव उज्जुरोहियधणुहं वामेण पाणिणा वेरि-पडिऊलं कालपुटुं महाधणुं उवादेइ / सो सूरो विव अण्णतेयंसीणं तेयं गसमाणो, भगदो इव लीलार थिरपायन्नासं कुणतो, मइंदव्य अग्गओ पडिवीरे तिणं पिव गणितो. पन्नगिंदो इव दुब्बिसहदिडीए बीहैणगो, महिंदुव्व उच्चएहिं 'बदिबुदारगेहिं थुणिज्जमाणो भरहनरिंदो रणकुसलं महागयं समारोहेड / अह ते दुण्णि वि भरहबाहुबलिनरिंदा कप्पतरुव्य बंदीणं दविणं दिता, सहस्सक्खव्व समागयनिय-सेण्णाइं पासंता, मुंणालं रायसव्व एग वाणं धरता, कामकहं विलासिपुरिसव्व रणकहं कुणंता, महूसाहा महोयंसिणो ते उभे नहमज्झम्मि दिणयरव्व निय-निय-सेण्णमज्झम्मि समागच्छन्ति / निय- सइण्णभंतरसंठिओ भरहो बाहुवली य जंबूदीवमज्झवटि-मेरुगिरि-सिरिं धरेइ / ताणं दण्डं सेण्णाणं अंतोवट्टिणी भूमी निसढ-नीलवंतगिरीणं मज्झम्मि महाविदेहखेत्तभूमीव लक्खिज्जइ / ताण दुण्णि वि सेणाओ कप्पंतसमए पुव्वाऽवरवारिनिहिणो इव पंतिरुवाओ होऊण अभिसप्पेइरे / पंति विप्फुट्टिऊण बाहिरं गच्छंता पाइक्का रायदुवारपालेहिं सेऊहिं जलपवाहा इव निवारिज्जति, ते सुहडा रायादेसेण तालेण एगसंगीय-वत्तिणो नट्टगा इव परुप्परं समपायनासं चलन्ति, निय-थाणं अचइऊण गच्छंतेहिंसव्वसेणिगेहिं ताणं दुहं सेणाओ इक्क-देहाओ विव विरायति / ते सुहडा रहाणं लोहमुहचक्केहिं पुढविं फाडता, लोहकुद्दालकप्पेहिं आसाणं खुरेहिं खणता, 1 जन्मान्धानाम् / 2 तूणीरौ / 3. भीषणो-भयजनकः / 1 बन्दिनः-स्तुतिपाठकाः / 5 मृणालम् - पद्मनालम् 6 यरस्पर संमुखं गच्छन्ति 7 विस्फोटथ-तोडीने /

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