Book Title: Siri Usahanahchariyam
Author(s): Vijaykastursuri, Chandrodayvijay Gani
Publisher: Nemi Vigyan Kastursuri Gyanmandir

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Page 174
________________ सिरिउसहनाहचरिए चित्तय-वग्ध सिंघेहिं सरहेहिपि जमरायस्स संगोत्तेहिं पिव कूरसाँवएहिं निरंतरं खइया, जुझंताऽहिनउलबम्मीअभीसणा, रिच्छकेस-धरण-तल्लिछ-बाल-चिलोइया, परुप्परं महिससंगाम-भंजिज्जमाणजिण्णतरू लाहलुत्थावियमहुमक्खियागणेहिं असंचारा, अब्भंलिहतरुगतिरोहियदिवागरा / एरिसिं भयंकरं तं महाडविं महावेगवंतरहो सुवेगो पुण्णवंतो कहें दिव सलील उल्लंघेइ / कमेण सो-'मग्गंतर-तरु-चीसमिराऽणग्य विहूसणधारीहिं सत्थ-पहियवहूजणेहिं संलक्खिज्जमाण-सुरज्ज, गोउलम्मि गोउलम्मि रुक्खतलसमासीण-पहरिसिर-गोवदारगेहिं गिज्जमाणुसहचरियं, भदसालवणाओ आहरिऊण आरोविएहिं फलसोहिरवहलबहुतरुवरेहिं अलंकियाहिलग्गामं, पट्टणम्मि पट्टणम्मि गामम्मि गामम्मि घरम्मि घरम्मि य दाणसीलसेटिजणेहिं सोहिज्जमाण-मग्गणजणं, भरहनरिंदाओ तसिएहिं पिव उत्तरभरहइढाओ समागरहि अक्खीणसामिद्धीहिं मिलिच्छेहिं पारण अझासियगाम, छक्खंडभरहखेत्तेहितो खंडंतरं पिव संठियं भरहाणाऽणभिण्णु, बहलीदेसं समासाएइ / मग्गम्मि बाहुबलिनरिंदै विणा रायंतरं अजाणतेहि जणवयवासिमुहीहिं जणेहिं सह अणेगसो आलावं कुणंतो, सुणंदानंदणाणुण्णाए वणेयर-गिरियर-दुम्मय-हिंसगपाणिणो वि अहिंसगभावं समावण्णे पासतो, पयाणं अणुरागवयणेण महासमिद्धीहिं च सिरिबाहुबलिरायस्स रज्जनीइं अच्चब्भुयं मण्णमाणो, भरहनरिंद-कणीयसबंधुणो उक्किद्वगुणसवणाओ वोसरियभरहसंदेसं मुहं अणुसुमरंतो सो सुवेगो तक्खसिलापुरि पावेइ / अस्स तक्खसिलापुरीए पवेसो, बाहुबलिणा सह संभासणं पुरीपरिसरनिवासिलोगेहिं किंचिलोयणपाएण खणं को वि पहिओ अत्थि इअ बुद्धीए पेक्खिज्जमाणो, लीलोज्जाणेसुं एगत्थमिलियाणं धणुहब्भासं कुणंताणं सुहडाणं भुयप्फालणेहिं तसंत-रह-तुरंगमो, इओ तओ पउरजणरिद्धिपेक्खणतल्लिच्छ-सारहिणा अणिसिद्धत्तणेण उप्पहगामिखलंतरहो, बाहिरुज्जाणतरुसुं समत्थ-दीवचक्कवट्टीणं एगहि मिलियाई गयरयणाई पिव बद्धे वरगए पासंतो, जोइसियविमाणाई चइऊण इव समागएहिं वरतुरंगमेहि बंधुराओ आससालाओ पेच्छमाणो, भरहाऽणुय-एस्सरिय-अच्छरिज्जाऽवलोयण जाय-सिरोवेयणाए इव सिरं धुणंतो स दूओ तं पुरि पविसेइ / अहमिंददेवे विवि सच्छंदसीले हट्टसेणीसुं उवविढे सिरिमंतवणि 1 शरभैः अष्टापदैः / 2 सगोत्रैः=एकगोत्रीयैः / 3 श्वापदैः हिंसकैः / 4 खचिता-व्याप्ता / 5 चिलाइयो-किरातिका-भीलड़ी। 6 लाहलो नाहलो म्लेच्छ जातिविशेषः / 7 अध्यासितो-निवेशितः। 8 अनभिज्ञम् / 9 समासादयति /

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