Book Title: Siri Usahanahchariyam
Author(s): Vijaykastursuri, Chandrodayvijay Gani
Publisher: Nemi Vigyan Kastursuri Gyanmandir

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Page 165
________________ चक्कवहिस्स सामिद्धीओ। 141 नयरिं दुवालसवरिसपज्जतं 'मुंक-कर-दंड-कुदंड-रहियं अभडपवेसं निच्चपमोयं कुणेह। तओ तक्खणं चिय ते अहिगारिपुरिसा तह कुणेइरे, 'जओ कजसिद्धीसुं चक्का हिस्स आणा पंचदसं रयणं भवई'। अह पत्थिवो ताओ रयणसीहासणाओ उद्देइ, तयणु तस्स पडिबिंबाई पिव अण्णे वि नरिंदाइणो सहेव हि उठेइरे / भरहेसरो नियागमणमग्गेण गिरिणो इव सिणाणपीढाओ उत्तरेइ, तह अण्णे वि नरिंदा उत्तरेइरे / तओ महोसाहो महीवई स-पया विव असमं वरहत्थिं आरोहिऊण नियपासायं गच्छेइ, तत्थ सिणाणघरंमि गंतूण निम्मलेहिं जलेहिं सिणाणं काऊण धरणीधवो अट्ठमभत्तस्स अंते पारणं करेइ, एवं दुवालसवारिसियाभिसेयमहूसवे समत्ते सिणाओ कयबलिकम्मो कयपायच्छित्तकोउयमंगलो भरहनरिंदो बाहिरसहाए गंतूण ते सोलससहस्साई अप्परक्खगदेवे सक्कारिऊण विसज्जेइ, तओ य पासायवरारूढो पंचिंदियविसहमुहं भुंजमाणो महीवई विमाणत्थिअसक्को इव चिढेइ चक्कवहिस्स सामिद्धीओ तस्स चक्कवहिणो आउहसालाए चक्कं छत्तं असी दंडो य एयाई एगिदियाई चउरो रयणाई संजायंते, रोहणायले माणिक्काई पिव तस्स सिरिमंतस्स सिरिगेहंमि कागिणी-चम्म-मणिरयणाई नवनिहिणो य हवंति, नियनयरीए सेणावई गिहवई पुरोहिओ वढई वि चत्तारि नर-रयणाई सजाएइरे, गयाऽऽसरयणाई वेयड्ढगिरिमूलंमि हवंति, इत्थिरयणं तु उत्तरविज्जाहरसेढीए समुप्पण्णं / नयणाणंददाइणीए मुत्तीए मयंकुव्व दूसहेण य पयावेण भाणुमंतो विव भरहो सोहेइ, सो पुंरुवत्तणं गओ समुद्दो इव गंभीरो, पुणो मण्ससामित्तणं पत्तो वेसमणो विव, गंगासिंधुपमुहचउद्दसमहानईहिं जंबुद्दीवो विव चउद्दसमहारयणेहिं सो विराएइ, विहरमाणस्स उसहपहुणो पायाणं हिटुंमि जह सुवण्णकमलाणि हवंति तह भरहनरिंदस्स नव वि निहिणो पायहिथिइणो वढेरे, अणप्पमुल्लकिणिय-अप्परक्खगेहिं इव सया पासत्थियसोलसदेवसहस्सेहिं परिवरिओ हवइ, नरिंदकण्णाणं पिव नरवईणं बत्तीससहस्सेहिं अच्चंतभत्तिभरेहिं सो निरंतरं उवासिज्जइ, नाडगाणं बत्तीससहस्सेहिं पिव जणवयजायवरकण्णाणं. बत्तीस-सहस्सेहिं सह सो पुढवीवालो अभिरमेइ, सो पिच्छीए अघीयभूवो तिसहिसाहियतिसयवासरेहि वरिसुव्व तावंतसूवगारेहिं विमाइ, पुढवीयलंमि अट्ठारस-सेढि-पसेढीहिं ववहारधम्म लिवीहिं नाहिनंदणो विव पयट्टावेइ, रह-गय-हयाणं चउरासीइलक्खेहिं गाम-पाइकाणं च छण्णव इकोडीहिं सो विराएइ, बत्तीसजणवयसहस्साण महीसरो, बावत्तरि 1 शुल्कम्-जकात। 2 वार्षिका।

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