Book Title: Siddha Siddhanta Paddhati Author(s): Kalyani Mallik Publisher: Poona Oriental Book House PoonaPage 75
________________ नित्यता निरञ्जनता निस्पन्दता निराभासता । निरुत्थानता इति पञ्चगुणा निजा शक्तिः॥८॥ अस्तिता अप्रमेयता अभिन्नता अनन्तरता । अव्यक्तता इति पञ्चगुणा परा शक्तिः ।।९।। स्फुरत्ता स्फुटता स्फारता स्फोटता स्फूर्तिता। इति पञ्चगुणा अपरा शक्तिः ॥१०॥ निरंशता निरन्तरता निश्चलता निश्चयता । निर्विकल्पता इति पञ्चगुणा मूक्ष्मा शक्तिः ॥११॥ पूर्णता प्रतिबिम्बता प्रबलता प्रोचलता। प्रत्यङ्मुखता इति पञ्चगुणा कुण्डलिनी शक्तिः ॥ १२ ॥ एवं शक्तितत्वे पञ्च - पञ्च-गुण-योगात्परपिण्डोत्पत्तिः।।१३।। उक्तश्च :निजा पराऽपरा सूक्ष्मा कुण्डली तासु पञ्चधा । शक्तिचक्रक्रमेणोत्याँ जातः पिण्डः परः शिवः ॥ १४ ॥ अपरम्परं परमं पदं शून्यं निरञ्जनं परमात्मेति । अपरम्परात्स्फुरत्ता-मात्रमुत्पन्नं परमपदात्भावनामात्रमुत्पन्नम् शून्यात्स्वसत्तामात्रमुत्पन्न निरञ्जनात्स्वसाक्षात्कारमुत्पन्नं परमात्मनः परमात्मोत्पन्नः ॥१५॥ अकलङ्कत्वमनुपमत्वमपारत्वममूर्तत्वमनुदयत्वमिति पञ्चगुणमपरम्परम् ॥१६॥ निष्कलत्वमणुतरत्वमचलत्वमसंख्यत्वमपरित्वमिति पञ्चगुणं परमं पदम् ॥१७॥ ६-कुण्डलिन्यासु (ह.), कुण्डलीतासु (का). ७-क्रमेणोत्यः (ह.), क्रमेणैव (का.). ८-शिवे (का.). ९-साक्षात्कारमात्रमुत्पन्न (ह.). १०-आधारत्वं (ह.).Page Navigation
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