Book Title: Siddha Siddhanta Paddhati
Author(s): Kalyani Mallik
Publisher: Poona Oriental Book House Poona

Previous | Next

Page 155
________________ ॥अथ चिरपटजी की सबदी॥ काया तरवर माकड़ चित । डालै पातै भरमै नित । कलपै झलपै दहदिस जाइ । तिस कारणि कोई सिध न भाई ॥१॥ ढील कछोटी मनभंग फिरै । घरि घरि नैंन पसारा करे । पाया झरै न बाचा फुरै । ता कारणि मूहू झरि झरि मरै ॥२॥ मन चंचल पवनां चंचल । चंचल बाई धारा । या घटि मधि तीनूं चंचल । क्यूं राषिब्य झरता पिंडका द्वार ॥३॥ नाथ कहां बै सके न नाथ । चेला पंच चलावे साथि । मांगै भिष्या भरि भरि पाइ । नाथ कहां वै मरि मरि जाई ॥४॥ दरसण पहरै नाथ कहावै । मुषि बोले चतुराई । आलै काष्ट जूं घुन लागे । डाल मूल घड़ि पाई ॥५॥ टीका हामां टमकली । बोलत मधुरी बांनी। चरपट कहै सुनिहो नागा अरजन । यास्योरां की सहनांवी ॥६॥ रंगाचंगा बहौ दीदारी । जैसे पोटी मुंहर पलमांधारी। चरपट कहै सुणे रे लोई । वरतण छ पणि ओग न होई ॥७॥ ऐक सेत पटा ऐक सील पटा । ऐक टसर केटी कालंबजटा। ऐक पंथ छाडि मन उबट बटा । चरपट कहै ऐ पेट नटा ॥८॥ राती कंथा रापट रोल । पगां पावडी मुषां तं बोले । पांजे पीजै कीजै भोग । चरपट कहै बिगाड्या जोग ॥९॥ पहरि मूदड़ी कंकण हाथि । नकटी बूची जोगणि साथि । उठत बैठत का झनकार । तजि सक्या न माया जंजार ॥१०॥

Loading...

Page Navigation
1 ... 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166