Book Title: Siddha Siddhanta Paddhati
Author(s): Kalyani Mallik
Publisher: Poona Oriental Book House Poona

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Page 79
________________ परा पश्यन्ती मध्यमा वैखरी मातृक इति पञ्चगुणा वाक इति पञ्चगुणा व्यक्तिशक्तिः पञ्चविंशतिगुणा ॥६०॥ कर्म कामश्चन्द्रः सूर्यः अपिरिति प्रत्यक्षकरणपञ्चकम् ॥६१ ॥ शुभमशुभं यशः अपकीर्तिः अदृष्टफलसाधनमिति पञ्चगुणं कर्म ॥२॥ रतिः प्रीतिः क्रीडा कामना आतुरता इति पञ्चगुणः कामः ॥ ६३ ।। उल्लोलिनी कल्लोलिनी उच्चलन्ती उन्मादिनी तरंगिणी शोषिणी अलम्पेटा प्रवृत्तिः लहरी लोला लेलिहाना प्रसरन्ती प्रवाहा सौम्या प्रसन्ना प्लवन्ती एवं चन्द्रस्य षोडश कलाः सप्तदशी कला निवृत्तिः साऽमृतकला ॥६४॥ तापिनी ग्रासिका उग्रा आकुंचिनी शोषिणी प्रबोधिनी स्मरा आकर्षिणी तुष्टिवर्द्धिनी उमीरेखा किरणावती प्रभावतीति द्वादश कलाः सूर्यस्य त्रयोदशी स्वप्रकाशता निजकला ॥६५॥ दीपिका रोजिका ज्वैलिनी विस्फुलिंगिनी प्रचण्डा पाचिका रौद्री दाहिको रागिणी शिखावतीति अग्नेर्दश कलाः एकादशी कला ज्योतिरिति प्रत्यक्षगुणकलासमूहः ॥६६॥ अथ नाडीनां दश द्वाराणि ॥ इडा पिङ्गला च नासाद्वारयोर्वहतः सुषुम्ना तालुमार्गेण ब्रह्मरन्ध्रपर्यन्तं वहति सरस्वती मुखद्वारेण वहति पूषाऽलम्बुषा च चक्षुद्वारयोर्वहतः गान्धारी हस्तिजिविका च कर्णद्वारयोर्वहतः कुहूः गुदद्वारे वहति शंखिनी लिङ्गद्वारे वहति (सा १८-उल्लोला (ह.). १९-लम्पटा (ह. सं.). २०-किरणवती (ह.), किरणिनी (का.). २१-रंजिका ( ह.). २२-ज्वालिनी (ह. तं.), २३-वाहका (तं.), दाहा (का.).

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