Book Title: Shwetambar Mat Samiksha
Author(s): Ajitkumar Shastri
Publisher: Bansidhar Pandit

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Page 7
________________ अब बुद्धिमान पुरुष वह है जो जैनग्रंथों मेंसे उन बातोंको खोज निकाले जिनसे जैनधर्मको धब्बा लगता है। ___ हमने यह पुस्तक इसी कारण तयार की है कि हमारे इवेताम्बर भाई जो बहुत दिनोंसे विछुडे हुए हैं वे अपने उन ग्रन्थोंका ध्यानसे निष्पक्ष होकर अवलोकन करें। जो बातें उन्हें उसमें अनुचित दीखें, पाखण्डप्रेमियोंकी मिलाई हुई मालुम हों उन्हें ग्रंथोंमेंसे दूर करनेका उद्योग करें। यदि किसी बात को हमने गलत समझा हो तो हमको समझावें ! यह समय धार्मिक प्रचारके लिये अच्छा उपयुक्त है, इस समय मिलकर प्रचार करें और जैन धर्मको एक वार फिरसे विश्वधर्म बनानेका शुभ उद्योग करें। . मेरी स्वल्प बुद्धिमें जो कुछ आप श्वेताम्बर भाइयोंको सुधारने और विचारनेके लिये उपयुक्त एवं आवश्यक दीख पडा वह आपके सामने रक्खा है । मेरे लिये भी यदि आपको इस प्रका. रकी कोई सुधारणीय एवं विचारणीय बात मालूम हो तो आप मेरे सामने रक्खें । दृष्टिगोचर भूलोको सुधारना और सुधरवाना ही बुद्धि और हितैषी विचारका सदुपयोग है । इति शम्. -=10&K: Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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