Book Title: Shubh Sangraha Part 03 Author(s): Bhikshu Akhandanand Publisher: Sastu Sahityavardhak Karyalay View full book textPage 7
________________ CLINICOMCOLOR: संतना साद luu nien. vn وی به یه یه یه یه بی مه به بی بی یه یه یه یه یه یه یه یه یه یه یه یه یه به مية ميه ميه به یه یه یه یه یه به مه ی ی ی ی ی ی یه یه یه یه یه یه ی سه ی یه به ميه ميه بي هه يه به गुरु लोभी शिष्य लालची, दोनुं खेले दाव । दोनुं बूडे बापडे, चडे पथरकी नाव ॥ पूरा सद्गुरु ना मिला, रहा अधूरा शिष्य । स्वांग जतिका पहेरके, घरघर मागे भीख ॥ तिमिर गया रवि देखते, कुबुध गइ गुरुज्ञान । संपतगइति लोभसें, भक्ति गइ अभिमान । कामी क्रोधी लालची, तासों भक्ति न होय । भक्ति करे कोइ शूरनर, जात बरन कुल खोय ॥ जीन घर नौबत बाजती, होते छतीस राग। को मंदिर खाली पडे, बैठन लागे काग ॥ एक दिन ऐसा आयगा, सबतें पडे बिछोह । राजा रानी छत्रपति, क्यों सावध नहीं होत ॥ कबीर मंदिर लाखका, जडीया हीरा लाल । दिवस चार का देखना, बिखर जायगा काल ॥ कबीर शेरी सांकडी, चंचल मनुवा चोर । गुन गावे लैलीन होय, मनमें है कछु ओर ॥ संगत भइ तो क्या भया, हिरदा भया कठोर । नव नेजा पानी चढे, पथर न भीजे कोर ॥ ...........0 4 MOIRALMANDIRDOIND000000000000000000meowne Mua Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.comPage Navigation
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