Book Title: Sanskrit Sopanam Part 04
Author(s): Surendra Gambhir
Publisher: Pitambar Publishing Company

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Page 11
________________ शब्दार्था : ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ आर्य ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ विसदृश शीलम् ॥ ॥ शूकरः = सअर (hog) अनु+सृ (सर) = पीछे जाना (to follow) गवाशनः = जाति से बहिष्कृत, चाँडाल (outcast) आवासः निवास, बस्ती (place of residence) प्र+आप प्राप्त करना, पहुँचना (to obtain, to reach) उपरि ऊपर (above) प्र+ह (हर्) आघात करना है । (to hurt) उच्चैः __जोर से (loudly) आ+ श् गाली देना (to abuse) = सुनना (to listen) सज्जन (gentleman) स्वागतम् स्वागत (welcome) अये = अरे (oh) परुष कठोर (harsh) अलग-अलग, भिन्न (dissimilar) = स्वभाव (nature) अन्तरम् = अन्तर, फ़र्क (difference) अन्तरा = बीच में (between) भिद् (भिद्य्) = अलग-अलग होना (to be different) नए धातु (New Roots)-श्रु, भिद् (भिद्य्)A नए उपसर्ग-युक्त धातु (New Prefixed Roots) अनु+सृ (सर्) प्र+आप् प्र+ह (हर्) आ+क्रुश् नए विशेषण (New Adjectives)आर्यः आर्या आर्यम् परुषः परुषा विसदृशः विसदृशा विसदृशम् नए अव्यय (New Indeclinables)-उपरि, उच्चैः, अये, अन्तरा उपपद-विभक्तिः (i) अनु के योग में आए शब्द में द्वितीया विभक्ति आती है । (ii) अन्तरा के योग में आए दोनों शब्दों में द्वितीया विभक्ति आती है । विशेषः र 'किम्' के रूपों को अनिश्चयवाचक विशेषण बनाने के लिए 'चित्' के स्थान पर 'चन' भी आ सकता है (We can use चित् or चन् after किम् for making indefinite adjectives) ॥ परुषम्

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