Book Title: Sanskrit Sopanam Part 04
Author(s): Surendra Gambhir
Publisher: Pitambar Publishing Company
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वानरः क्षुद्रम् उपदेष्टारं दृष्ट्वा तस्मै भृशमक्रुध्यत् अचिन्तयत् च-क्षुद्रोड्यं जन्तुः माम् उपदिशतीति । वर्षायाः अनन्तरं कुपितः वानरः उत्पत्य वृक्षं गत्वा खगानां नीडानि अनाशयत् । सत्यमेव यत्क .ATE
F(Joot उपदेशः हि मूर्खाणां प्रकोपाय न शान्तये।xitary पयःपानं भुजङ्गानां केवलं विष-वर्धनम् ।।
| शब्दार्थाः |
अवाञ्छित
अनचाहा
तटम्
तट
॥
नीडम् वर्षर्तुः धारासारः
॥
वर्ष
॥
||
शरणम् कम्प
शीतम्
बाध् तलः
॥
आर्त
॥
(unwanted)
anted) (shore) (nest) (rainy season) (non-stop rain) (to rain) (refuge) (to shiver) (cold) (to trouble) (below) (distressed) (oh !) (to shiver) (to be distressed) (weak) (to live) (advisor) (rain) (angry) (indeed) (anger) (serving milk)
= घोंसला
वर्षा ऋतु = मूसलाधार = बरसना
शरण = काँपना
= सर्दी नाम = तंग करना
नीचे का भाग
दुःखी OETS = अरे = काँपना = दुःखी होना
कमज़ोर
रहना = उपदेशक = बारिश = क्रोधित = वास्तव में
क्रोध = दूध पिलाना
हन्त
||
वेप क्लिश् निर्बल नि + वस् उपदेष्ट्र वर्षा कुपित
||
ह
॥
प्रकोपः पयःपान

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