Book Title: Sanskrit Sopanam Part 04
Author(s): Surendra Gambhir
Publisher: Pitambar Publishing Company

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Page 19
________________ ॥ ॥ ॥ ॥ 1॥ Pा ॥ ॥ ॥ ॥ चेत् ॥ ॥ (judgement) प्रायणाम अक्सर को कर (often) मधीकार अभिवक्तृ = वकील (lawyer) PIRATE तर्क-पूर्वकम् = तर्कों के साथ न्याय (logically) का यक्तिः जमा दलील की (argument) का प्रति + क्षिप् = दलील काटना शिर (to refute) डिश त्रिविध 555 = 1 तीन प्रकार का (of three kinds) कमाण्डलिक मारpen मंडल-सम्बन्धी (divisional) विरोधः = विरोध (opposition) उच्च-न्यायालयः उच्च-न्यायालय (high court) प्रमाणी + कृ अपील करना (to appeal) मान्य मानने योग्य (agreeable) यदि सर्वोच्च-न्यायालय : सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) अन्तिम (final) खण्ड तोड़ना (to break) नए धातु (New Roots) - वृत् A, खण्ड् नए उपसर्ग-युक्त धातु (New Prefixed Roots) - वि + वद् A, उप् + स्थापय्, वि + चारय्, प्रति + क्षिप्, प्रमाणी + कृ नए विशेषण (New Adjectives)वैत्तिकः वैत्तिकी वैत्तिकम् दुश्चरित्रः दुश्चरित्रा दुश्चरित्रम् त्रिविधः त्रिविधा त्रिविधम् माण्डलिकः माण्डलिकी माण्डलिकम् मान्यः मान्या मान्यम् अन्तिमा अन्तिमम् नए अव्यय (New Indeclinables) .यथाकालम्, सम्यक्, प्रायेण, चेत् = आखिरी ॥ ॥ अन्तिमः अभ्यासः पाठगतम्__ 1. यदि न्यायालय न होते तो क्या स्थिति हाती ? (If there were no courts of law what would be the condition?) 14

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