Book Title: Sanskrit Sopanam Part 04
Author(s): Surendra Gambhir
Publisher: Pitambar Publishing Company
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दुर्योधनः किं सर्वे एव असमर्था : ?
भवतु अहमेव दण्डयामि
एतं दूतम् । वासुदेवः किं सम्प्रति सुयोधनः
उत्तिष्ठति। भवतु, सुयोधनस्य सामर्थ्य
पश्यामि। (मायया भगवान् कृष्णः अनेकानि
रूपाणि धारयति) दुर्योधनः आः कुत्रास्ति केशवः ! अयं केशवः ! अहो हस्वः अयं केशवः ! आः तिष्ठ इदानीम् !
कुत्र केशवः ! अहो दीर्घः अयं केशवः ! अयं केशवः ! तत्र केशवः ! किमिदम् ! सर्वत्र केशवाः भवन्ति । किं करिष्यामि ? (संभ्रमेण सर्वे तिष्ठन्ति)
-भासकृत दूतवाक्यात् | शब्दार्थाः आसनम्
आसन
(seat) दूतः
(messenger) अनामय स्वास्थ्य
(health) प्रभृति
आदि
(etc.) समयः
समझौता
(agreement) दुःखम् दःख
(trouble) सहना
(to bear) दायाद्यम् = पैतृक संपत्ति
(inheritance) अंशः हिस्सा
(share) का प्र+दा प्र+ दाजी देना
(to give) नामशेष ॥ = समाप्त
(finished) समुदाचार
उचित व्यवहार
(proper behaviour) जन् होना, पैदा होना
(to be, to be born) = अपमान करना,फेंकना ! (to insult, to throw) = दष्ट
(wicked) कारागारः - जेल
post (jail) पराङमखाजगीत = पछाड़ खाया HP (one with face turned
( फलीजि हम
away) कली
त
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सह
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क्षिप म
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शठः
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