Book Title: Sanskrit Sopanam Part 04
Author(s): Surendra Gambhir
Publisher: Pitambar Publishing Company

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Page 31
________________ बड़े 0008 गधार का लालच करना (to be greedy) की महत्त्वाकाक्षा PIEETपदेच्छा ETEREE (ambition) धनमूल = जिसकी जड़ में धन है। (one having money at the root) व्यवस्थित = निश्चित (determined) मनीषा इच्छा (desire) मन मानना (to believe) गुरु (elder) प्रणामः - नमस्कार (regards) नि + वेदय = निवेदन करना (to offer) अभिन्न amols TO) = अभिन्न मा (inseparable) नये धातु (New Roots) - ग्रह, गृध, मन् A उपसर्ग-युक्त धातु (New Prefixed Roots)- सम् + पद् A, नि + विदेय् नये विशेषण (New Adjectives) - उत्सुकःHALODउत्सुका मात उत्सुकम् मितमामात नवमः i) नवमी नवमम् कृतपरिश्रम: HC कृतपरिश्रमा काम कृ तपरिश्रमम् गण मेधावी drawbus मेधाविनी मेधावि आदिक (2202012) आदिका आदिकम तावान् uringilish तावती तावत् यावान् (10bob यावती यावत् पुरातनः (1356ons) पातनी प्रातनम् वैदेशिकः वैदेशिकी चमत्कृतः (blavido चमत्कृता चमत्कतम धनमल: (2180237) धनमूला क-शाह धनमूलम्मा व्यवस्थितः को व्यवस्थिता अलग व्यवस्थितम् अभिन्नः अभिन्ना जीतिमा अभिन्नम् नये अव्यय (New Indeclinables) चिरम्, वस्तुतः कारक-विभक्तिः जब समय एवं दूरी सूचक शब्दों द्वारा कार्य की पूर्णता प्रकट हो, तो समय-दूरी-सूचक शब्दों में तृतीया विभक्ति लगती है (Words denoting time or distance gets the third vibhakti if the completion of work is implied). वैदेशिकम् 26

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