Book Title: Sanskrit Sopanam Part 04
Author(s): Surendra Gambhir
Publisher: Pitambar Publishing Company

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Page 30
________________ किं बहुना ! न वयं गृध्याम अर्थेषु । नास्ति मे महत्त्वाकांक्षा धनमूला । देशस्य आवश्यकता एव मे आवश्यकता । एषा मम व्यवस्थिता मनीषा । मन्ये यत् तव सम्मतिः अपि अत्र भविष्यतीति । गुरुभ्यः मे प्रणामं निवेदय । of चिरम् i) उत्सुक सम + पद् वृत्तान्तः नवम ग्रह वस्तुतः कृत-परिश्रम सफलता मेधाविन् चिकित्सक: (stiesb) (availsd of) (bls) (b) अभियन्तृ हानिः भौतिक-शास्त्रम् अनुसन्धानम् वृत्तिः आदिक तावत् यावत् पुरातन वैदेशिक चमत्कृत अपि च = बहुत देर से |||||||||||||||| = उत्सुक = = = = = || || | || H = सफलता |||||||||| = = = = = ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ = = शब्दार्थाः सम्पन्न होना हालचाल नवाँ ग्रहण करना वास्तव में जिसने परिश्रम किया है बुद्धिमान् डाक्टर इंजीनियर हानि भौतिकी शोध-कार्य पेशा आदि काडीही छिट TFFIF उतना जितना 25 (for a long time) (eager) (to be accomplished ) boxcilor (state of being) (29vila (ninth) (to take) (in fact) का TERSTARS पुराना विदेशी विस्मयपूर्वक चकित और (doctor) "(engineer) (harm) 2015 (one who has put in hardwork) fra f (success) कशी (intelligent) (physics) (research) (profession) (etc.) अभिन्नः तेशचीन्द्रः ((that much) (as much) (ancient) (foreigner) (charmed) (moreover)

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