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सर्वतोभद्रिका जिन मूर्तियां (२४) ये मूर्तिया मंदिर १२ को चहारदीवारी एवं मन्दिर १५ से. मिली हैं।।
(२५) देवगढ़ में २५ से अधिक मूर्तियां हैं । अधिकांश मूर्तियां मंदिर १२ की चहारदीवारी पर उत्कीर्ण हैं।
(२६) मदिर १२ की एक मूर्ति में ऋषभनाथ एवं शांतिनाथ की पहचान संभव है। (२७) मथुरा संग्रहालय की एक मूर्ति (बी ६६) में भी नवग्रहों की मूर्तिया उत्कीर्ण
(२८) अमेरिकन इन्स्टीट्यूट आव इण्डियन स्टडीज, वाराणसी, चित्र संग्रह १०१.७१, १०१.७२, १०१.७३ ।
(२९) दिगंबर परम्परा के नंदीश्वर द्वीप पट्ट पर ५२ जिन आकृतियां उत्कीर्ण होती हैं - द्रष्टव्य, शाह, यू०पी० स्टडीज इन जैन आर्ट, पृ० १२० ।
(३०) कुरेशी, मुहम्मद हमीद, राजगिर, दिल्ली, १९६०, पृ० २८, आर्किअलाजिकल सर्वे आव इण्डिया, दिल्ली, चित्र संग्रह १४३०। ५५ ।
(३१) सरकार, शिव शंकर, 'आन सम जैन इमेजेज फ्राम बगाल' माडन रिव्यू, खं० १०६, अं० २, पृ० १३१ ।
(३६) दे, सुधीन, पूर्व निर्दिष्ट पृ. २७-३० ।
(३३) बनर्जी, ए०, 'ट्रेसेज आव जैनिजम इन बंगाल', जर्नल आव दि यू०पी० हिस्टारिकल सोसाइटी, खं० २३, भाग १-२, १९५०, पृ० १६८ ।
(३४) मित्रा, देवला, 'सम जैन एन्टिक्विटीज फ्राम बांकुड़ा, वेस्ट बंगाल', जर्नल आव दि एशियाटिक सोसाइटी आव बंगाल, खं० २४, अं० २, १९५८ (१९६०) पू० १३३ । ।
चित्र-सूची (१) चित्र १ : मथुरा से प्राप्त कुषाणकालीन जिन चौमुखी मूर्ति, पुरातत्त्व संग्रहालय, मथुरा (क्रमांक बी ६९)।
(२) चित्र २ : मथुरा से प्राप्त कुषाणकालीन जिन चौमुखी मूर्ति, पुरातत्त्व संग्रहालय मथुरा (क्रमांक बी ७०)।
(३) चित्र ३ : जधीना (भरतपुर, राजस्थान) से मिली ऋषभनाथ की चौमुखी मूर्ति, भरतपुर राज्य संग्रहालय (क्रमांक ३), ल. नवीं शती ई. ।
(४) चित्र ४ : वाराणसी (उ०प्र०) से मिली और भारत कला भवन, वाराणसी (क्रमांक ७७) में सुरक्षित चौमुखी जिन मूर्ति, ल० आठवीं शती ई० ।
(५) चित्र ५ : शहडोल (म०प्र०) से मिली जिन चौमुखी मूर्ति, ल. दसवीं शती ई० ।
(६) चित्र ६ : राजगिर (बिहार) के सोनभण्डार गुफा की जिन चौमुखी मूर्ति, ल. आठवीं शती ई०।
(७) चित्र ७ : चौमुखी जिनालय, इन्दौर (गुना, म० प्र०) ल. ग्यारहवीं शती ई० ।
(चित्र १, २ पुरातत्त्व संग्रहालय, मथुरा; चित्र ६ आर्कियलॉजिकल सर्वे ऑव इण्डिया, दिल्ली, और शेष चित्र अमे रकन इन्स्टीट्यूट ओव इण्डियन स्टडीज, वाराणसी के सौजन्य से)
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