Book Title: Saman Dhamma Rasayanam
Author(s): Dharmdhurandharsuri, Bhuvanchandravijay
Publisher: Shrutgyan Prasarak Sabha

View full book text
Previous | Next

Page 14
________________ ( क्षान्तिः ) - खंती - १ - ਸਸ मज्झ । मणहरे - चित्तमंदिरे | खंती - खमा । रमउ - विलसउ । १) कोवानलपसमणकरणत्थं - कोवो एव अनलो । कोवानलो, तस्स पसमणं तं करणत्थं एयं विहणकए, कोहकिसाणुविज्झावणत्थं । नवजलहरयंती - अहिणवमेहमाला - आसाढमाससंभवजलवरिसणसील - घणाघणराई खंती इइ सेसो ||१|| - ॥ वित्ती ॥ - २) जइ - जंकालं । खंती - पसमभावो । करकमले - पसत्यहत्थपउमे ।। विहियाकया । तइ - तं कालं । खलकंती - दुज्जणवयणप्पहा । निहया, - नट्ठा, अक्खमेजणे दुजणाविलसंति, परं खमावंते संते - विक्खिउण - दुज्जणाणंवयणं कज्जल लेवलित्तं व कालं होइ - जं कहियं च क्षमाधनुः करे यस्य, दुर्जनः किं करिष्यति, अतृणे पतितो वह्निः स्वयमेवोपशाम्यति । इइ ।।२।।

Loading...

Page Navigation
1 ... 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122