Book Title: Saman Dhamma Rasayanam
Author(s): Dharmdhurandharsuri, Bhuvanchandravijay
Publisher: Shrutgyan Prasarak Sabha
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"समण धम्म रसायणं" वित्ति कलियं
सच्चं (सत्यम्) - ७ सच्चवयं जियसवभयं - वयउ - सच्च - कोहलोहभयहासपसंगा सेवइ वयणमसचं जेण जणो लहइ महदुक्खं वचड़ गई अवचं ।। १।। सच्च. जहिट्ठिलो सच्चवयणओ धम्मणिवत्ति पसिद्धो वसुराओ मुसावायाओ, परयं पगओ गिद्धो ।। २।। सच. दत्तपदत्तामरणभया वि सच्चं णहि संचत्तं; कालयसूरिणा सेयं वरियं सुरसुहमविसंपत्तं ।। ३।। सच्च. सच्चंपइट्ठाणो जिणधम्मो मच अमच्चसमच्चो; अहमीऽहम्मो सच्चपइटो पीलइ लोयमवच्चो ।। ४।। सच्च. सव्वसमय समस्त्वं सूणियं णेइ जणं सुहमिटुं । खणखणभिन्नसस्त्वं अणियं अप्पड़ कठ्ठमणि8 ।। ५।। सच्च. मुसामूसओ जसमंजूसं कत्तई मंद मंदं; सचं सच्चफणींदं पच्चा णस्सइ कंद कंदं ।। ६।। सच्च. सव्ववार गिण्हंतु सब्बओ ण कओ जाव मुसंतो; हवड़ तावं सव्वं विहलं सेडिसुओ दिलुतो ।। ७।। सच्च. मुसावयम्मि रये दुम्मणुये लोयो कुणइ धिद्धी धम्मधुरंधरसच्चवयाओ रिद्धीसिद्धिपसिद्धी ।। ८।। सच्च.

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