Book Title: Saman Dhamma Rasayanam
Author(s): Dharmdhurandharsuri, Bhuvanchandravijay
Publisher: Shrutgyan Prasarak Sabha

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Page 55
________________ ४६ "समण धम्म रसायणं" वित्ति कलियं ७) सोयं सोयं सोयं जावं - सोयं सोयं सोयंइत्थंभूअंरठणं । जो - जोकोइ । अविरामं - अविस्सामं । जवइ - रटइ । अणिच्छयं । सो - सोसद्देण । परमप्पा - परमीसरोऽयं - ऽयंसद्देणं ।। संसारठिओजीवो । तस्स - जावकारयस्स । उभयं - परमप्पजीवप्पत्तिदयं । अहिरामं - सुन्दरं ।। ८) मिच्छासोयेणं - जलण्हाणरूवासुद्धसोयेणं । मेअज्जो - तण्णामो । . णीयकुले - अहमजाइम्मि | उप्पण्णो - जाओ । धम्मधुरंधरसोयधम्मओ-समणधम्मुत्तमसोयसरूवसुकयाओ । सिवसंपण्णो - मुत्तिगइंगओ । जाओ - अ भू । मे अज्जेणपुव्वजम्मम्मि संजमण गहीअं आसी । परं विप्पकुलप्पुसूइप्पहावा सिणाणरूई ण गया । संयमधम्मे पहाणविरहा खिंसइ । एवं खुणीयागोअकम्मंसमज्जिअं । तेण चंडालकुले पसूओ ।। पच्छाचरित्तं सेवित्तासुईभूओ सिवंय पत्तो ।।

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