Book Title: Saman Dhamma Rasayanam
Author(s): Dharmdhurandharsuri, Bhuvanchandravijay
Publisher: Shrutgyan Prasarak Sabha

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Page 43
________________ ३४ विरई - चरणं । - - अनंतं अपरिमिअं- सुक्खं आणंद देइत्ति - सेसो । ४) विरइरइवंतं पुंडरीयं - तण्णामं । । लवसत्तमलच्छी वरइ अहि गच्छइ ।। - "समण धम्म रसायणं" वित्ति कलियं चरणधरणसरसियं । सव्वत्थसिद्ध पसिद्ध पंचमणुत्तरसुरसिरी । ५) दुश्चरणम्मि - विसयकसाय जणिय भोगविलासम्म । रमंतं - पसत्तं । कंडरीयं - तहामहि याणं । माधवई - सत्तमा तमातमा पुहवी । वरइ-पावइ पुंडरीय कंडरीय-कहाणायाधम्म कहाओ उण्णेया । - ६) वयपव्वंयओ चरणणगाओ । अव्वयकुहरे - अविरमणरूवघोरन्धयारकूवाम्मि । : पतंतं - अहो - गच्छंतं । कोइ - कश्चणो वि । ण पाइ ण खलु रक्खइ || - ७) वयसिहरे - णिसम गिरिमत्येय । णिवसंतं - ठिझं कुणंतं । कोइ किलेसो कश्चणोविपरितावो । णाहि हवइ न पीलइ । ८) सत्तरहचरियं सत्ताहियदसहविहं चरित्तं । जेणं - जेणप्पणा ।

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