Book Title: Saman Dhamma Rasayanam
Author(s): Dharmdhurandharsuri, Bhuvanchandravijay
Publisher: Shrutgyan Prasarak Sabha

View full book text
Previous | Next

Page 51
________________ ४२ "समण धम्म रसायणं" वित्ति कलियं सोयं (शौचम्) - ८ सोयं सोयहरं थुणिमो, विणु सोयं किं कुणिमो - सोयं । वत्थविसुद्धी गेहविसुद्धी देहविसुद्धी वि दिट्ठा । अप्पविसुद्धी सव्ववरिहा, सोयधम्मम्मि गरिहा ।। १।। सोयं. णिम्मल णाणजलम्मिण्हाणं, किच्चामल अवहरउ ।। सुई होऊणं अच्चउ अरिहं, केवललच्छिं वरउ ।। २।। सोयं. सोय विहीणा दीणा, मलिणतं ण चयंति । आरुग्गाओ मुत्ता रोगा, विलयं णियं णयंति ।। ३।। सोयं. रागदोससिणेहसिणिद्धो कम्मरयेण विलितो । जीवो अईव मलिणो तावं, जाव ण सोय पत्सित्तो ।।४।। सोयं. जलसोयम्मि सययपसत्ता, सत्ता सत्ते हर्णति । जलपिस्सियबहुजीयवहाओ, अप्पाणं मलिणंति ।। ५।। सोयं. सोयधम्मसुद्धो णु अप्पा, जयइ पुण्णमयंकं । उड्टुं गच्छइ सो पिल्लेवो चयइ सव्वकलंकं ।।६।। सोयं. सोयं सोयं, सोयं जाव, जवइ अ जो अविराम । सो परमप्पाऽयं जीवप्पा तस्सुभयं अहिरामं ।। ७।। सोयं. मिच्छासोयेणं मेअनो, णीयकुले उप्पण्णो । धम्मधुरंधरस्सोयधम्मओ, जाओ सिवसंपण्णो ।। ८।। सोयं.

Loading...

Page Navigation
1 ... 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122