Book Title: Saman Dhamma Rasayanam
Author(s): Dharmdhurandharsuri, Bhuvanchandravijay
Publisher: Shrutgyan Prasarak Sabha
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१२
"समण धम्म रसायणं" वित्ति कलियं विणओ - पहवया । पहवइत्तिसेसो । एवमग्गेवि । विणयेणं - पहभावेणं । णाणं - बोहो । तेणहि - णाणेण खलु । मुत्ती - परमपयं । मुत्तीइ - निस्सेयसपए । अवियलं - सासयं । सुहं - सुक्खं ।। अत्थि - वट्टइ । एसा - उत्तपुव्वा मद्दवओ इच्चाइ । पवरा - उत्तमा, सव्वविसिट्टा । जुत्ती - वयम्मिसुसंगतसंपायणा त कसंवलिया उत्ती । एवं हि मद्दवमुवचरणी यंति ।।५।। ६) खलु --णिस्संसयं । सुक्कयकट्ठसमो - रसरहियदारुवुल्लो । माणो - अहंयारो । अणंतं - अपरि मिअं । क8 - दुक्खं | . देइ - अप्पेइ । मद्दवपरसुविहियसयखंडो-मिउभावरूवकुठारकयाणेगभागो। णिययं - णिच्छियं । विलयं - विणासं । एइ - गच्छइ । माणोदुरंतदुक्खदायगो मद्दवं पुणो माणविद्दवणयरंत्तिभावो ||६|| ७) जइ - जं । इगवारं - सइ ।

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