Book Title: Saman Dhamma Rasayanam
Author(s): Dharmdhurandharsuri, Bhuvanchandravijay
Publisher: Shrutgyan Prasarak Sabha
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२८
"समण धम्म रसायणं" वित्ति कलियं
तवो (तपः) - ५ वंदे तव मंगलमुक्टुिं - वंदे -
जिणवर गणहर सिटुं - वंदे -
दव्व तवो वियरइ संभुत्ति, जुत्तिजुत्तं दिलु । वंदे १ भावतवो मुत्तिं वित्थरइ, हरइ विग्घमरिद्धं । वंदे २ अणसणमूणोयरिया वित्ति, -संखेवो वि गरिहं । वंदे ३ रसचाओ कायस्स किलेसो, संलीणयां य बहिटुं । वंदे ४
पायच्छित्तं विणओ गुणीणं, वेयावच्चं सिष्टुं | वंदे ५
सज्झाओ झाणं उस्सग्गो, तवमभिंतरमिटुं । वंदे ६
गोयमविण्हुधण्णमुहेहिं तत्तं तव वरिद्धं । वंदे ७ धम्मधुरंधर तव मंगलओ, पत्तं सुहमइमिटुं । वंदे ८

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